उत्तर प्रदेश में छुट्टा पशुओं के चलते अन्नदाता बेहाल है. यह समस्या गंभीर हो गई है. उत्तर प्रदेश सरकार ने छुट्टा पशुओं की समस्या से निपटने के लिए प्रदेश में जगह-जगह स्थाई, अस्थाई गौशाला बनाई है. इसके बावजूद बड़ी संख्या में घूम रहे ये पशु किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार भले ही किसानों की आय डबल करने के प्रयास में जुटी हुई हैं, पर छुट्टा पशु सरकार के प्रयासों पर पानी फेरने का काम कर रहे हैं.
उत्तर प्रदेश में किसान इन पशुओं से अपनी फसलों को बचाने के लिए खेत के चारों तरफ अलग-अलग तरह से तारबंदी कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश में गौशाला के जिम्मेदार अधिकारी ए.के प्रसाद बताते हैं कि जहां भी सूचना मिलती है, पशुपालन विभाग छुट्टा पशुओं को गौ-आश्रय केंद्र में भेजने का बंदोबस्त कर रहा है. प्रदेश में अब तक 6626 गौ आश्रय केंद्र बनाए जा चुके हैं जिनमें 900000 से ज्यादा पशु रह रहे हैं.
उत्तर प्रदेश में छुट्टा पशुओं की समस्या सरकार के लिए लाइलाज बन चुकी है. प्रदेश में अन्नदाता नील गायों के आतंक से पहले से ही परेशान थे. अब छुट्टा पशुओं के चलते किसानों की कमर टूट चुकी है. प्राकृतिक आपदा से जहां फसलों को समय-समय पर नुकसान पहुंच रहा है, तो वहीं अब छुट्टा पशुओं से फसलों को बचाना मुश्किल होता जा रहा है. किसान छुट्टा पशुओं से अपनी फसलों को बचाने के लिए खेत के चारों तरफ कंटीले तार, ब्लेड वाले तार और झटका यंत्र के माध्यम से सुरक्षा कर रहे हैं. अब भारी मुसीबत ये है कि सरकार ने इन तारों से हो रहे पशुओं को नुकसान को देखते हुए किसानों पर अर्थदंड लगाने के नियम बना दिए हैं. नतीजतन, कई किसानों ने तो अब खेती-बाड़ी से ही तौबा करने का मन बना लिया है.
उत्तर प्रदेश में 2017 से योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद गोवध पर पूरी तरीके से रोक लगा दी गई. इसके चलते बड़ी संख्या में गोवंशों को लोग सड़कों पर छोड़ने लगे. इससे निजात दिलाने के लिए सरकार ने हर ब्लॉक स्तर पर गौशाला का निर्माण शुरू कर दिया. इन गौशाला में छुट्टा पशुओं को रखकर उन का भरण पोषण किया जाने लगा. लेकिन इससे छुट्टा पशुओं की समस्या नहीं सुधर पाई. 6 साल पूरा होने को है और प्रदेश में छुट्टा पशुओं की समस्या बढ़ती ही जा रही है.
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प्रदेश की पशुपालन विभाग में गौशाला प्रभारी ए.के प्रसाद बताते हैं कि वर्तमान में 5815 अस्थाई गौशाला स्थापित है, जबकि 247 अस्थाई गौशाला है. इसके अलावा 357 कांजी हाउस है और 207 कान्हा गौ आश्रय केंद्र स्थापित किए गए हैं. वही इन सभी गौशालाओं में 945975 पशु रह रहे हैं जिनका भरण पोषण सरकार के माध्यम से किया जा रहा है.
छुट्टा पशुओं से किसान बेहाल है जिसके चलते सरकार के प्रयास भी निष्फल साबित हो रहे हैं. 2017 के बाद छुट्टा पशुओं के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने कई कदम उठाए हैं. वहीं प्रदेश में अब तक सरकार के द्वारा इन पशुओं के रखरखाव पर बड़ी राशि खर्च की जा रही है. सरकार पिछले 3 सालों में 355 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है. 2022-23 में सरकार अभी तक 100 करोड़ रुपये गौशाला के भरण-पोषण पर खर्च कर चुकी है. लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है.
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