Animal Feed: जाड़ों में ठंड से बचाने के लिए ऐसी होनी चाहिए पशुओं की खुराक, ये करें बदलाव 

Animal Feed: जाड़ों में ठंड से बचाने के लिए ऐसी होनी चाहिए पशुओं की खुराक, ये करें बदलाव 

Animal Feed in Winter एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि मौसम के हिसाब से पशुपालन में बदलाव करना बहुत जरूरी हो जाता है. खासतौर पर ठंड के मौसम में न सिर्फ पशुओं की देखभाल में बदलाव किया जाना चाहिए, बल्कि पशुओं की खुराक भी ठंडे मौसम के मुताबिक होनी चाहिए. इतना ही नहीं पीने का पानी भी नियमानुसार देना चाहिए. 

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Animal Feed: जाड़ों में ठंड से बचाने के लिए ऐसी होनी चाहिए पशुओं की खुराक, ये करें बदलाव पशुओं के लिए वरदान है ये चारा

Animal Feed in Winterबीते दिनों से मौसम में होने वाले बदलाव का अहसास होने लगा है. खासतौर पर सुबह-शाम ठंड महसूस हो रही है. इसलिए इंसानों संग पशुओं की देखभाल भी बहुत जरूरी हो जाती है. अगर देखभाल नहीं की तो ठंड के चलते पशु तनाव में आ जाते हैं. कई बार लापरवाही के चलते मौसमी बीमारियां भी घेर लेती हैं. और इन सब के चलते पशुओं का उत्पादन घट जाता है. जिसका दोहरा खामियाजा पशुपालकों को उठाना पड़ता है. ऐसे में जरूरी है कि पशुओं की बाड़े में देखभाल के साथ-साथ उनकी खुराक भी बदल दें.

क्योंकि मौसम के हिसाब से खुराक भी बहुत मायने रखती है. मुमकिन हो तो खुराक बदलने के संबंध में एनिमल एक्सपर्ट की सलाह लेनी चाहिए. पशुओं को जरूरत के हिसाब हरा-सूखा चारा समेत मिनरल मिक्चर भी खि‍लाना चाहिए. दूध उत्पादन और बढ़ जाए इसके लिए रेशेदार हरा चारा खिलाना चाहिए. लेकिन इसके साथ ही पशुओं को खल भी खि‍लानी चाहिए.  

बहुत जरूरी हैं रेशेदार और फलीदार चारा खि‍लाना 

एनिमल न्यूट्रीशन एक्सपर्ट का कहना है कि अगर रेशेदार हरे चारे की बात करें तो पशुओं को जई, रिजका, बाजरा और गेहूं का भूसा खि‍ला सकते हैं. ये रेशेदार चारे पशुओं के पेट में वाष्पशील वसा अम्ल बनाते हैं. और खास बात ये है कि यही वसा अम्ल पशुओं के शरीर में ऊर्जा की पूर्ति करता है. जिसके चलते पशु ज्यादा ठंड से अपना बचाव कर पाते हैं. इतना ही नहीं रेशेदार चारे का एक और बड़ा फायदा ये है कि इसे खि‍लाने से दूध में फैट की मात्रा बढ़ती है. अब बात करें फलीदार चारे की तो बरसीम, काऊ पिया, रिजका और जई खि‍लाई जा सकती है. लेकिन ख्याल रहे कि इस चारे को जब पशुओं को खि‍लाना हो तो सूखे भूसे के साथ मिलाकर देना चाहिए.

साथ ही सोयाबीन, बिनोला और सरसों-मूंगफली की खल भी हरे चारे और भूसे में मिलाकर दी जा सकती है. ऐसा करने से दूध का उत्पादन बढ़ेगा, दूध में फैट की मात्रा बढ़ेगी और पशु को ठंड से बचने के लिए ऊर्जा भी मिलेगी. एक्सपर्ट का कहना है कि जैसे ही मौसम में तापमान कम होता है तो पशु की प्रोटीन, ऊर्जा और पोषक तत्वों की जरूरत बढ़ जाती है. इसलिए ये जरूरी हो जाता है कि पशुओं को उनकी नस्ल, उम्र और शारीरिक अवस्था के मुताबिक दिया जाए. अतिरिक्त आहार पशुओं को 100 किलो वजन पर ढाई से तीन किलो तक देना चाहिए. सामान्य तौर पर पशु का वजन 350 से 400 किलो तक होता है. 

ज्यादा उत्पादन के लिए बढ़ाएं आहार 

पशु से ज्यादा उत्पादन लेने के लिए पशुओं को साइलेज, बाइपास फेट, बाइपास प्रोटीन दिया जा सकता है. उच्च केलोरिक आहार विटामिन और खनिज लवण से फोर्टीफाइड होना चाहिए. पशुआहार की मात्रा को धीरे-धीरे ही बढ़ाएं वर्ना पशु का पाचन बिगड़ सकता है.दाना मिश्रण में मोटे तौर पर 40 दाने 32 खल, 25 चाप, 2 खनिज लवण और एक फीसदी नमक शामिल करें. भैंस को, प्रति दो किलो दूध उत्पादन पर एक किलो सांद्र आहार ज्यादा दें. ठंड में पशु आहार में गुड़ जरूरत मिलाया जाना चाहिए. गेहूं का दलिया, चना, ग्वार आदि भी खिला सकते हैं.

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