बकरियों के लिए खतरनाक हैं ये 5 रोगBakra Meat Market‘त्यौहारों को छोड़ दें तो आम दिनों में भी बकरे के मीट की डिमांड के साथ ही उसके रेट भी बढ़ रहे हैं. घरेलू बाजार में ही बकरे के मीट की इतनी डिमांड है कि एक्सपोर्ट की जरूरत ही पूरी नहीं हो पा रही है. जबकि हर साल एक्सपोर्ट मार्केट में भी बकरे के मीट की 15 से 20 फीसद तक डिमांड बढ़ रही है. एक्सपोर्ट में भी लाइव (लाइव) जिंदा बकरों और मीट दोनों की ही डिमांड बढ़ रही है. बीते 10 साल में बकरे के मीट का बाजार दोगुना तक बढ़ चुका है.
अब ऐसे में ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए बस जरूरत है बाजार के हिसाब से बकरी पालन किया जाए. जैसा हमारे साइंटिस्ट और डॉक्टर बताते हैं उसी हिसाब से साइंटीफिक तरीके से ही बकरी पालन किया जाए.’ ये कहना है कि पूर्व एनिमल हसबेंडरी कमिश्नर और दुवासू, मथुरा के वाइस चांसलर डॉ. अभिजीत मित्रा का.
डॉ. अभिजीत मित्रा का कहना है कि किसी भी प्रोडक्ट को बेचने के लिए उसकी यूएसपी भी बनानी होगी. इसी तरह से जरूरत है कि बकरे के मीट की यूएसपी बनाई जाए. जैसे ब्लैक बंगाल बकरे की बात करें तो उसकी एक बहुत बड़ी खासियत यानि यूएसपी है जो बहुत कम लोगों को पता है. खासतौर से बिहार, बंगाल और आसाम वाले इसे जानते हैं. वो ये कि ब्लैक बंगाल बकरे का मीट हांडी में ही बनाने के लिए होता है. अगर इसे प्रेशर कुकर में बनाया तो मीट का पता ही नहीं चलेगा. कहने का मतलब ये है कि कुकर में पककर ये शोरबे के साथ घुल जाएगा. और दूसरे बकरे का मीट हांडी में इतनी जल्दी गलेगा नहीं. तो ये ब्लैक बंगाल बकरे की अपनी यूएसपी है. इतना ही नहीं कई खूबियों के चलते चमड़े के लिए इसकी खाल भी अच्छी मानी जाती है.
अभिजीत मित्रा ने जानकारी देते हुए बताया कि बीते 10 साल से तो मैं ही देख रहा हूं कि बकरे के मीट के दाम 350 रुपये किलो से 800 रुपये किलो पर आ गए हैं. साल में दो बार मीट के दाम बढ़ते हैं. जैसे बकरीद और होली-दीवाली के मौके पर. दूसरा अगर आप बिहार, बंगाल और आसाम में ब्लैक बंगाल बकरे का फ्रेश मीट खरीद रहे हैं तो वो आपको 900 से एक हजार रुपये किलो तक में ही मिलेगा.
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