AMR Issue: पशुओं को ये खास हरा चारा खि‍लाया तो कम हो जाएगा एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस का खतरा 

AMR Issue: पशुओं को ये खास हरा चारा खि‍लाया तो कम हो जाएगा एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस का खतरा 

AMR Issue in Animal Products हरा चारा उगाने के दौरान पेस्टिसाइड और केमिकल के इस्तेमाल पर कंट्रोल कर लिया जाए तो फिर बड़ी ही आसानी से डेयरी, पोल्ट्री प्रोडक्ट और मीट के एक्सपोर्ट को बढ़ाया जा सकता है. क्योंकि ऐसा करने से प्रोडक्ट में एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) का खतरा न के बराबर रह जाएगा. 

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AMR Issue: पशुओं को ये खास हरा चारा खि‍लाया तो कम हो जाएगा एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस का खतरा Maize Crop मक्‍का फसल (सांकेति‍क तस्‍वीर)

AMR Issue in Animal Products पशुपालन गाय-भैंस और भेड़-बकरी का हो या मुर्गी और मछली पालन, सभी पर एक बड़ा खतरा मडराने लगा है. ये वो खतरा है जो सबसे ज्यादा एनिमल प्रोडक्ट के एक्सपोर्ट को प्रभावित कर रहा है. और ये बड़ा खतरा है एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) का. भारत ही नहीं एएमआर विदेशों में भी एक बड़ी परेशानी बन चुकी है. एनिमल प्रोडक्ट के रास्ते इंसानों की हैल्थ पर इसका बड़ा असर पड़ रहा है. लेकिन केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की ओर से सोशल मीडिया शेयर किए गए एक मैसेज पर अमल करके एक खतर को कम किया जा सकता है. 

मंत्रालय की सलाह है कि एक खास तरह से हरे चारे का उत्पादन कर हम एएमआर के जोखि‍म को कम कर सकते हैं. जैसे, अगर हम हरा चारा उगाने में पेस्टिसाइड और केमिकल का इस्तेमाल न के बराबर करें तो ये बहुत ही फायदेमंद रहेगा. इसके लिए हम दूसरी चीजों का इस्तेमाल कर सकते हैं. अगर हम पेस्टिसाइड और केमिकल का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करते हैं तो हम नेचुरल और ऑर्गेनिक खेती में आ जाते हैं. 

ऑर्गेनिक और नेचुरल हरे चारे के फायदे

सीनियर साइंटिस्ट और फोडर एक्सपर्ट डॉ. राजीव सिंह का कहना है कि नेचुरल फार्मिंग से एक हेक्टेयर में उगे हरे चारे को करीब 100 बकरियां खा लेती हैं. वहीं नेचुरल फार्मिंग से उगे हरे चारे का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसे खाने के बाद जांच में बकरी के दूध और उसके मीट में दूषित तत्व  नहीं पाए जाते हैं. क्योंकि आज होता ये है जो भी देश मीट खरीदता है तो वो एक्सपोर्ट के दौरान मीट की जांच कराता है. इसी जांच में जब मीट में कुछ दूषित तत्व पाए जाते हैं जो कैमिकल से उगे चारे की वजह से आ जाते हैं तो मीट के उस आर्डर को कैंसिल कर दिया जाता है. ऐसा ही दूध के साथ होता है. आजकल बाजार में ऑर्गनिक दूध की डिमांड है. 

पशुओं के लिए ऐसे उगाया जा सकता है नेचुरल चारा 

डॉ. राजीव वर्मा का कहना है कि जीवा और बीजा अमृत से उगाय जाने के चलते नेचुरल फार्मिंग वाला चारा सस्ता पड़ता है. उत्पादन भी ज्यादा होता है. ये बकरियों की हैल्थ पर अच्छा असर डालता है. इस पर अभी और रिसर्च चल रही है. बकरी पालन के साथ चारा बेचकर भी मुनाफा कमाया जा सकता है. जब तक बकरी खुद से बाग, मैदान और जंगल में चर रही है तो उसका दूध 100 फीसद ऑर्गेनिक है. क्योंकि बकरी की आदत है कि वो अपने चारे को पेड़ और झाड़ी से खुद चुनकर खाती है. लेकिन जब हम फार्म या घर में पाली हुई बकरियों को बरसीम, चरी या और दूसरा हरा चारा देते हैं तो उसमे पेस्टीसाइट शामिल रहता है.
इसीलिए हम किसानों को नेचुरल फार्मिंग से चारा उगाने के बारे में बता रहे हैं. इसके लिए हमने जीवामृत और बीजामृत बनाया है. जीवामृत बनाने के लिए गुड़, बेसन और देशी गाय के गोबर-मूत्र में मिट्टी मिलाकर बनाया जा रहा है. यह सभी चीज मिलकर मिट्टी में पहले से मौजूद फ्रेंडली बैक्टीरिया को और बढ़ा देते हैं. इसी का फायदा चारे को मिलता है. इसे बनाने में बकरियों की मेंगनी का इस्ते माल करने पर भी रिसर्च चल रही है.

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