Goat-Sheep PPR: भेड़-बकरियों के बीच ऐसे फैलती है PPR बीमारी, ये है इलाज का तरीका 

Goat-Sheep PPR: भेड़-बकरियों के बीच ऐसे फैलती है PPR बीमारी, ये है इलाज का तरीका 

पेस्ट डेस पेटिट्स रूमिनेंट्स (PPR) बीमारी भेड़ और बकरियों दोनों को ही होती है. इस बीमारी के होने पर बॉडी ग्रोथ तो रुकती ही है, साथ में बकरियां दूध उत्पादन भी कम कर देती हैं. और अगर एक पशु को ये बीमारी हो जाए तो उसके बाद सभी पशुओं के बीच बहुत तेजी से फैलती है. 

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Goat-Sheep PPR: भेड़-बकरियों के बीच ऐसे फैलती है PPR बीमारी, ये है इलाज का तरीका बकरी पालन का रोजगार

पेस्ट डेस पेटिट्स रूमिनेंट्स (PPR) भेड़-बकरियों को होने वाली बीमारी है. ये बहुत ही घातक और जानलेवा बीमारी है. ये एक संक्रमक बीमारी है. एनिमल एक्सपर्ट के मुताबिक अभी भेड़-बकरियों की इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है. सिर्फ वैक्सीन (टीके) की मदद से इसकी रोकथाम ही की जाती है. मौसम के हिसाब से और बीमारी फैलने की आशंका के चलते टीका लगवाकर ही भेड़-बकरियों को इस बीमारी से बचाया जाता है. इसके चलते वक्त और पैसों का तो नुकसान होता ही है, साथ में पशु तनाव से भी गुजरता है. 

एक्सपर्ट के मुताबिक पीपीआर को बकरियों का प्लेग भी कहा जाता है. ये बीमारी एक खास तरह के वायरस से होती है. मुंह के रास्ते ये वायरस बहुत ही तेजी के साथ फैलता है. लेकिन टीका लगवाने के बाद ये वायरस भेड़-बकरियों पर असर नहीं करता है. लेकिन टीका लगवाने में की गई देरी के चलते भेड़-बकरियों की मौत तक हो सकती है. 

भेड़-बकरियों में पीपीआर बीमारी फैलने के ये हैं लक्षण  

पीपीआर को बकरी का प्लेग के नाम से भी जाना जाता है. किसी एक भेड़-बकरी को होने पर ये तेजी से दूसरे बकरे-बकरी को भी अपनी चपेट में ले लेती है. यह वायरस खासकर बकरियों और भेड़ों की सांस की लार, नाक से निकलने वाला स्राव और दूषित उपकरणों के जरिए फैलता है. इस बीमारी की चपेट में आते ही भेड़-बकरी सुस्त और कमजोर हो जाता है, खाने से मुंह फेरने लगता है. आंखे लाल, आंख, मुंह और नाक से पानी बहने लगता है. बुखार कम होते ही मुंह के अन्दर मसूड़ों और जीभ पर लाल-लाल दाने फूटकर घाव बनने लगते हैं. वक्त के साथ घाव सड़ने लगते हैं. आंखों में कीचड़ पड़ने लगता है. तेज बदबूदार खून और आंव के साथ दस्त लग जाते हैं. कई बार तो बकरी और भेड़ का गर्भ तक गिर जाता है. जब वक्त से टीकाकरण नहीं कराया जाता है तो लगातार दस्त होने और घावों में सड़न बढ़ने के चलते पशु की मौत हो जाती है. 

भेड़-बकरी को पीपीआर से बचाने को करें ये काम 

पीपीआर रोग से भेड़-बकरियों को बचाने के लिए जरूरी है कि उनका टीकाकरण कराया जाए. अभी तक पीपीआर के कई टीके थे, लेकिन अब आईवीआरआई की इस रिसर्च के बाद एक टीके से ही पीपीआर की रोकथाम हो जाएगी और शीप पॉक्स की भी. जैसे ही भेड़-बकरी में पीपीआर के लक्षण दिखाई दें तो उसे शेड से अलग कर दें. पीडि़त भेड़-बकरी को हेल्दी पशुओं के साथ कभी ना रखें. पीडि़‍त पशु को पानी खूब पिलाएं. 

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