Pica: पशु अगर गोबर-मिट्टी, कपड़ा-कागज खा रहा है तो अलर्ट हो जाएं, खतरनाक है ये बीमारी

Pica: पशु अगर गोबर-मिट्टी, कपड़ा-कागज खा रहा है तो अलर्ट हो जाएं, खतरनाक है ये बीमारी

पाइका एक खतरनाक बीमारी है. पशुओं की खुराक में मिनरल की कमी होते ही पशु पाइका की चपेट में आने लगते हैं. इस बीमारी का सबसे बड़ा लक्षण यही है कि इस दौरान पशु हर खराब और गंदी चीज खाने लगता है. यहां तक की वो अपने शरीर को भी चाटने लगता है. 

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Pica: पशु अगर गोबर-मिट्टी, कपड़ा-कागज खा रहा है तो अलर्ट हो जाएं, खतरनाक है ये बीमारीपशुओं को खुले में बांध रहे हैं तो हो जाएं सावधान

कभी-कभी ऐसा होता है कि गाय-भैंस कागज-कपड़ा, मिट्टी और अपने ही गोबर को खाने लगते हैं. यहां तक की अपने और बराबर वाले पशु के शरीर को चाटने लगते हैं. मुर्दा जानवर और उनकी हड्डी खाने लगते हैं. अपने ही पैदा होने वाले नवजात बच्चों को भी खाने की कोशि‍श करते हैं. पशु जब भी ऐसा करे तो समझ जाएं कि पशु गंभीर बीमारी की चपेट में आ चुका है. इसे एलोट्रओफेजिया यानि पाइका कहते हैं. पशु को ये बीमारी उसकी रोजाना की खुराक में जरूरत के मुताबिक मिनरल नहीं खि‍लाने से होती है.

ये बीमारी सिर्फ गाय-भैंस ही नहीं भेड़-बकरी, घोडे और कुत्तों में भी होती है. इस बीमारी में पशु हर वो चीज खाने लगता है जो उसके खाने की नहीं है और जिसे खाकर उसे परेशानी होगी. एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो मार्च से लेकर जून तक का वो वक्त है जब पशु के इस बीमारी के चपेट में आने की ज्यादा संभावना रहती है. क्योंकि इस मौसम में हरे चारे की कमी भी होने लगती है. 

कितने तरह का होता है पाइका और क्यों होता है

एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो जब पशु में मिनरल की कमी जैसे, पोस्फोरस, कोबाल्ट, नमक समेत दूसरे खनिजों की कमी होने लगती है तो पाइका के लक्षण दिखाई देने लगते हैं. इसके साथ ही कुछ और ऐसे कारण हैं जिसके चलते पशु पाइका की चपेट में आते हैं. जैसे, 

पशु को बाड़े में कम जगह में रखना.
पशु के पेट में कीड़े या वर्म हो जाना.
पशु को पेट और पित्ताशय संबंधित बीमारी होना.

पांच तरह की होती है पाइका बीमारी

कोप्रोफेजिया: इसमे पशु खुद या अन्य पशु का मल और गोबर खाने लग जाता है.
इनफेंटोफेजिया: इसमें मादा पशु खुद के छोटे नवजात बच्चों को खाने लगती है.
ऑस्टियोफेजिया: इसमे पशु मरे हुए जानवरों की हड्डियों को चाटने और चबाने लगता है. 
साल्ट हंगर: इसमे पशु खुद की या दूसरे पशु की चमड़ी चाटने लगता है.

पाइका बीमारी होने के ये हैं लक्षण

पशु खाना-पीना कम कर देता है.
पशु अपनी मूल खुराक न खाकर दूसरी बेकार चीजे खाने लगता है.
पशु उत्पादन कम हो जाता है और उसका शरीर में दुबला होने लगता है.
पशु की चमड़ी उसके शरीर से चिपक जाती है.
पशुओं को कई बार आफरा भी होने लगता है.

पाइका होने पर ऐसे करें इलाज 

पशु को पौष्टिक और संतुलित आहार देते हैं.
पशु को समय-समय कृमिनाशक दवाई दी जाती है.
पशु को हर रोज 40-50 ग्राम मिनरल मिक्चर खाने को दें. 
मुमकिन हो तो पशु की नांद में मिनरल मिक्चर की ईंट रख दें.
पशु को हर रोज 50 ग्राम सादा नमक खाने में दें. 
फोस्फोरस और विटामिन A, D, E के इंजेक्शन एक हफ्ते तक दें. 
पशुओं को ज्यादा फाइबर वाला चारा जैसे, घास, पुआल और साइलेज खाने को दें.  
पशुओं में फॉस्फोरस की कमी को पूरा करने को पीने के पानी में फॉस्फोरस मिलाएं. 
पशुओं के आहार में रेसा की उचित मात्रा शामिल करें. 

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