A total of 31 MLAs have written a letter to Rajasthan Chief Minister Bhajanlal Sharma, demanding the status of Rajmata to cows in the state. (File photo)अभी तक हम ओलंपिक और दूसरी प्रतियोगिताओं में ही डोप टेस्ट के बारे में सुनते थे. इसके तहत प्रतियोगिता से पहले एथलीट (खिलाड़ियों) का डोप टेस्ट होता है. ब्लड सैम्पल लेकर ये देखा जाता है कि खिलाड़ी ने कोई शक्तिवर्धक दवाई तो नहीं ली है. लेकिन अब गाय-भैंस का भी डोप टेस्ट होगा. बेशक आपको सुनने में ये अटपटा लगे, लेकिन ये सच है. और ये डोप टेस्ट किया जाएगा गाय-भैंस के मिल्किंकग कम्पटीशन में. प्रोग्रेसिव डेयरी फार्मर एसोसिएशन (PDFA) ने इसकी शुरुआत की है. बीते साल भी कुछ पशुओं का डोप टेस्ट कराया गया था. ऐसा आरोप है कि कुछ पशुपालक गाय-भैंस से ज्यादा दूध लेने के लिए कुछ ऐसी दवाई देते हैं जो देश में बैन हैं और पशुओं के लिए नुकसानदायक भी है.
देश में ये टेस्ट गुरु अंगद देव वेटरनरी और एनीमल साइंस यूनिवर्सिटी (Gadvasu), लुधियाना में हो रहा है. एथलीट की तरह से यहां भी पशु का ब्लड सैम्पल लिया जाता है. गौरतलब रहे पीडीएफए की ओर से हर साल लुधियाना-फिरोजपुर हाइवे पर जगरांव में पशु मेला आयोजित किया जाता है. मेले के दौरान 50 लीटर तक दूध देने वाली गाय से लेकर 28 लीटर दूध देने वाली भैंस मिल्किंलग कम्पटीशन में हिस्सा लेने आती हैं.
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गडवासु के पूर्व वाइस चांसलर डॉ. इंद्रजीत सिंह ने बताया कि कुछ पशुपालक प्रतियोगिताओं के दौरान या उससे पहले गाय-भैंस को सिंथेटिक ग्रोथ हॉर्मोन का टीका लगवाते हैं. टीका लगवाने के बाद होता ये है कि जो गाय-भैंस 20 लीटर दूध दे रही है वो टीके के बाद 30 से 35 लीटर तक दूध देने लगती है. इसी की जांच करने के लिए ये डोप टेस्ट शुरू किया गया है. टेस्टिं5ग के लिए पशु का ब्लड और दूध का सैम्पल लिया जाता है. गडवासु के बॉयो टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट ने इसकी जांच का तरीका खोजा है. 2023 में पीडीएफए के प्रेसिडेंट की डिमांड पर पहली बार ये टेस्ट किया गया था.
डॉ. इन्द्रजीत सिंह ने बताया कि अमेरिका, कनाडा, ब्राजील और पाकिस्तान में ज्यादा दूध लेने के लिए धड़ल्ले से पशुओं को ये टीका दिया जा रहा है. लेकिन हमारे देश में इसकी मंजूरी नहीं है. भारत में भी साल 2010 से 2013 के बीच इसका टेस्ट किया गया था. मैंने खुद कुछ भैंसों पर इसका ट्रॉयल किया था, लेकिन भारत सरकार ने इसकी मंजूरी नहीं दी थी. तब से कुछ लोग चोरी-छिपे इसे देश में लाते हैं और पशु पालकों को बेचते हैं.
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