छत्तीसगढ़ का सुकमा जिला अब सिर्फ पारंपरिक खेती तक सीमित नहीं रह गया है. यहां के किसान अब झींगा पालन जैसे नए और लाभकारी कृषि विकल्पों को अपनाकर आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं. यह पहल न केवल किसानों की आमदनी बढ़ाएगी, बल्कि उन्हें नया रोज़गार भी देगी.
सुकमा जिले के विकासखंड की पांच ग्राम पंचायतें-भेलवापाल, झापारा, गोंगला, मुरतोंडा और गादीरास — अब झींगा पालन के लिए चुनी गई हैं. इन पंचायतों के कुल 40 तालाबों का कृषि विज्ञान केंद्र और मछली पालन विभाग द्वारा निरीक्षण किया गया है. ये सभी तालाब झींगा पालन के लिए उपयुक्त पाए गए हैं. जल्द ही यहां विशेषज्ञों की देखरेख में झींगा पालन की शुरुआत की जाएगी.
कलेक्टर के मार्गदर्शन में, कृषि विज्ञान केंद्र सुकमा और मत्स्य विभाग द्वारा किसानों को झींगा पालन के लिए तकनीकी प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इससे किसान आधुनिक तरीकों से झींगा पालन कर सकेंगे और अधिक लाभ कमा सकेंगे.
झींगा एक मीठे पानी में पाया जाने वाला जलीय जीव है, जो खाने में स्वादिष्ट और सेहत के लिए फायदेमंद होता है. यह प्रोटीन और अच्छे वसा का स्रोत है. इसका सेवन मस्तिष्क विकास, हृदय स्वास्थ्य और कुपोषण की रोकथाम में सहायक होता है.
पारंपरिक खेती के मुकाबले झींगा पालन से किसानों को जल्दी और अधिक आमदनी हो सकती है. इससे न केवल बुजुर्ग किसान, बल्कि युवा भी खेती से जुड़ने के लिए प्रेरित होंगे. यह पहल ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार बढ़ाने का एक सशक्त माध्यम बन रही है.
जिला प्रशासन, कृषि विज्ञान केंद्र और मत्स्य विभाग के संयुक्त प्रयासों से सुकमा जिला झींगा पालन के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ का अग्रणी जिला बनने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है. यह योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम साबित हो रही है.
सुकमा जिले में झींगा पालन की शुरुआत से ग्रामीणों को न सिर्फ रोज़गार मिलेगा, बल्कि यह जिला आर्थिक रूप से भी सशक्त बनेगा. ऐसी योजनाएं आने वाले समय में किसानों के लिए नई उम्मीद की किरण साबित होंगी.
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