Goat Breed: साल में एक बार आता है ये बाजार, लेकिन पशुपालकों को कर देता है मालामाल 

Goat Breed: साल में एक बार आता है ये बाजार, लेकिन पशुपालकों को कर देता है मालामाल 

Rajasthani Goat Breed आप भी बकरीद पर लगने वाले बाजार के लिए बकरे तैयार करा चाहते हैं तो फिर आपको प्योर नस्ल के बकरों की पहचान होना जरूरी है. खासतौर पर जब आप राजस्थानी नस्ल के बकरे खरीदने जा रहे हों. राजस्थानी नस्ल के इन चार बकरों के बारे में जान लेना बहुत जरूरी है. क्योंकि प्योर नस्ल के बकरों के बाजार में दाम भी अच्छे मिलते हैं. 

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Goat Breed: साल में एक बार आता है ये बाजार, लेकिन पशुपालकों को कर देता है मालामाल स्टाल फीड करतीं जखराना नस्ल की बकरियां. फोटो क्रेडिट-किसान तक

Rajasthani Goat Breed खासतौर पर भेड़-बकरी पालक पूरे साल बच्चों को पालकर उन्हें तैयार करते हैं. इसमे भी बकरों की संख्या ज्यादा होती है. ऐसे पशुपालकों को इंतजार रहता है साल में एक बार आने वाले बकरा बाजार का. ये वो बाजार है जहां भेड़-बकरों को बेचकर पशुपालक अपना पूरे साल का खर्च निकाल लेते हैं. ये बाजार है बकरीद का. इस बाजार में कुर्बानी के लिए भेड़ और बकरों की खरीद-फरोख्त होती है. इस बाजार की खास बात ये है कि आम दिनों के मुकाबले इस बाजार में बकरों के दाम अच्छे मिल जाते हैं. 

12 हजार वाला बकरा 15-16 हजार रुपये तक का बिक जाता है. अगर आप भी बकरीद के बाजार में बकरे बेचकर मोटा मुनाफा कमाने चाहते हैं तो राजस्थानी नस्ल के बकरे आपको मालामाल कर देंगे. खासतौर पर राजस्थानी बकरों की इन चार नस्ल को बकरीद के मौके पर भी बहुत पसंद किया जाता है. 

जखराना नस्ल के प्योर बकरों की कैसे पहचान करें 

बकरे की जखराना नस्ल अलवर, राजस्थान के एक गांव जखराना से निकली है. इसलिए इसका नाम भी जखराना पड़ गया है. असली जखराना की पहचान यह है कि यह पूरी तरह से काले रंग की होती है. लेकिन इसके कान और मुंह पर सफेद रंग के धब्बे होते हैं. इसके अलावा जखराना बकरी के पूरे शरीर पर किसी भी दूसरे रंग का कोई धब्बा नहीं मिलेगा. जखराना एक ऐसी नस्ल है जिसके बकरे और बकरी एक साल में 25 से 30 किलो वजन तक पर आ जाते हैं. बच्चे देने की क्षमता के बारे में बात करें तो 60 फीसद जखराना बकरी दो या तीन बच्चे‍ तक देती हैं. बकरीद के मौके पर जखराना बकरे भी खूब बिकते हैं. 

सोजत नस्ल के बकरों की पहचान क्या है

सोजत नस्ल का बकरा राजस्थान के नागौर, पाली, जैसलमेर और जोधपुर में पाया जाता है. यह जमनापरी की तरह से सफेद रंग का बड़े आकार वाली नस्ल का बकरा है. इसे खासतौर पर मीट के लिए पाला जाता है. इस नस्ल का बकरा औसत 60 किलो वजन तक का होता है. वहीं बकरी दिनभर में एक लीटर तक दूध देती है. सोजत की नार्थ इंडिया समेत महाराष्ट्र में भी खासी डिमांड रहती है.

बकरीद के लिए सिरोही बकरों को कैसे पहचानें  

सिरोही बकरा ब्राउन और ब्लैक कलर में पाया जाता है. इस पर सफेद रंग के धब्बे होते हैं. इस नस्ल का बकरा दिखने में खासा ऊंचा होता है. ये नस्ल सिर्फ राजस्थान में ही पाई जाती है. ये बकरा बाजार में कम से कम 12 से 15 हजार रुपये में मिल जाता है. 

तोतापरी बकरों की क्या पहचान है

तोतापरी नस्ल का बकरा पतला और लम्बा होता है. ऊंचाई कम से कम 3.5 से 4 फुट तक होती है. बाजार में बिकने के लिए तैयार होने में ये कम से कम 3 साल लेता है. ये नस्ल हरियाणा के मेवात और राजस्थान के भरतपुर जिले में पाई जाती है. इसकी बिक्री 12 से 13 हजार रुपये से शुरु होती है.

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