GST on Seafood: मछली-झींगा पालन हुआ सस्ता, बढ़ जाएगा घरेलू और एक्सपोर्ट मार्केट, पढ़ें डिटेल 

GST on Seafood: मछली-झींगा पालन हुआ सस्ता, बढ़ जाएगा घरेलू और एक्सपोर्ट मार्केट, पढ़ें डिटेल 

GST on Seafood जीएसटी रेट कम होने से मछली पालन सेक्टर की लागत में कमी आएगी. घरेलू और एक्सपोर्ट बाजारों में टक्कर दे सकेंगे. जिसका फायदा मछली पालन, मछली पकड़ने वाले मछुआरों और प्रोसेसिंग एक्सपोर्टर को होगा. साथ ही बाजार का दायरा भी बढ़ेगा. सरकार का ये फैसला भारत के मछली पालन क्षेत्र को और ज्यादा उत्पादक, प्रतिस्पर्धी और टिकाऊ बनाने में मददगार होगा. 

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GST on Seafood: मछली-झींगा पालन हुआ सस्ता, बढ़ जाएगा घरेलू और एक्सपोर्ट मार्केट, पढ़ें डिटेल India leads the world in shrimp production, a key aspect of its seafood exports.

GST on Seafood जीएसटी रेट में हुए बदलाव के अब मछली और झींगा पालन सस्ता हो जाएगा. दोनों के पालन पर आने वाली लागत कम हो जाएगी. जिसके चलते मछली और झींगा का घरेलू ही नहीं एक्सपोर्ट मार्केट भी बढ़ जाएगा. सरकार ने सीफूड एक्सपोर्ट में जीएसटी रेट को 18 और 12 फीसद से सीधे पांच फीसद पर पहुंचा दिया है. करीब 22 आइटम पर जीएसटी के पुराने रेट में रियायत दी गई है. इसका सीधा फायदा उन तीन करोड़ लोगों को मिलेगा जो मछली और झींगा पालन से जुड़े हुए हैं. 

करीब तीन करोड़ लोग मछली पालन और मछली पकड़ने के काम से जुड़े हुए हैं. गौरतलब रहे ये राहत ऐसे वक्त में मिली है जब अमेरिका ने झींगा पर 50 फीसद का टैरिफ लगा दिया है. जीएसटी का नया संशोधि‍त स्लैब 22 सितंबर 2025 से लागू माना जाएगा. इससे जरूरी उपकरण और ज्यादा किफायती हो जाएंगे, इनपुट लागत भी कम होगी और इस क्षेत्र में आजीविका को सहारा मिलेगा.

कहां, किस पर कितनी मिलेगी छूट 

  • जीएसटी के संशोधित स्लैब के तहत मछली के तेल, मछली के अर्क, तैयार या संरक्षित मछली, झींगा उत्पादों पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर पांच फीसद कर दिया गया है. 
  • ऐसा होने से मूल्यवर्धित समुद्री भोजन घरेलू उपभोक्ताओं के लिए ज्यादा किफायती हो जाएगा. 
  • एक्वाकल्चर से जुड़े काम और हैचरी के लिए जरूरी डीजल इंजन, पंप, एरेटर और स्प्रिंकलर पर अब 12 से 18 फीसद के बजाय सिर्फ पांच फीसद ही जीएसटी देना होगा. 
  • मछली पालन करने वालों की लागत में कमी आएगी. 
  • तालाब की तैयारी और पानी की क्वालिटी को बनाए रखने में इस्तेमाल होने वाले अमोनिया और सूक्ष्म पोषक तत्वों जैसे कैमिकल पर जीएसटी को पांच फीसद कर दिया गया है. ये पहले 12 से 18 फीसद थी. 
  • संरक्षित मछली, झींगा और मोलस्क पर कम जीएसटी से भारत के समुद्री खाद्य निर्यात को वैश्विक स्तर पर मजबूती मिलेगी और साथ ही सुरक्षित और स्वच्छ तरीके से प्रोसेस सीफूड की घरेलू खपत बढ़ेगी. 
  • मछली पकड़ने की रॉड, टैकल, लैंडिंग नेट, बटरफ्लाई नेट और गियर पर जीएसटी की दर 12 फीसद से घटाकर पांच फीसद कर दी गई है, जिससे मनोरंजक, खेल, मछली पकड़ने के साथ-साथ छोटे पैमाने पर एक्वाकल्चर और मछली पकड़ने वाले किसानों को भी फायदा होगा.
  • खाद्य और कृषि-प्रसंस्करण में जॉब वर्क सेवाओं, जिनमें समुद्री भोजन भी शामिल है, पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। 
  • जैविक खाद बनाने और पर्यावरण के अनुकूल तालाब प्रबंधन करने के लिए जरूरी कम्पोस्टिंग मशीनों पर अब पांच फीसद जीएसटी लगाया जाएगा, जिससे स्थायी एक्वाकल्चर को प्रोत्साहन मिलेगा.

झींगा किसान और एक्सपर्ट डॉ. मनोज कुमार शर्मा का कहना है कि सीफूड को लेकर घरेलू बाजार को बड़ा करने की बात हो रही है. मौजूदा वक्त में झींगा जिस हाल में है उसे देखते हुए भी केन्द्र सरकार का ये एक बड़ा कदम है. इसके चलते सभी को फायदा मिलेगा. 

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