राष्ट्रपत‍ि द्रौपदी मुर्मू ने गाय के दूध को बताया अमृत, जानें क्या बताई वजह

राष्ट्रपत‍ि द्रौपदी मुर्मू ने गाय के दूध को बताया अमृत, जानें क्या बताई वजह

दूध और दूध से जुड़े उत्पाद हमेशा से भारतीय खान-पान और संस्कृति का अटूट हिस्सा रहे हैं. मां के दूध के साथ गाय का दूध भी स्वास्थ्य के लिए अमृत माना जाता है. डेयरी उद्योग हमारे देश की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

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 राष्ट्रपत‍ि द्रौपदी मुर्मू ने गाय के दूध को बताया अमृत, जानें क्या बताई वजहराष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान का 19 वां दीक्षांत समारोह

हरियाणा के करनाल में सोमवार को नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (NDRI) का दीक्षांत समारोह आयोज‍ित क‍िया गया. ज‍िसमें मुख्य अतिथि के तौर पर भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मौजूद रही. दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा क‍ि पंजाब और हरियाणा के किसानों ने हरित क्रांति के साथ-साथ श्वेत क्रांति की सफ़लता में भी विशेष भूमिका निभाई है. इसके लिए मैं सभी किसानों को नमन करती हूं. इस दौरान  राष्ट्रपत‍ि द्रौपदी मुर्मू ने गाय के दूध को अमृत बताया. जानें उन्होंने ऐसा क्यों कहा और इसकी पीछे क्या वजह बताई. 

गाय का दूध इस वजह से माना जाता है अमृत

 राष्ट्रपत‍ि द्रौपदी मुर्मू  ने कहा क‍ि दूध और दूध से जुड़े उत्पाद हमेशा से भारतीय खान-पान और संस्कृति का अटूट हिस्सा रहे हैं. मां के दूध के साथ गाय का दूध भी स्वास्थ्य के लिए अमृत माना जाता है. साथ ही उन्होंने कहा क‍ि डेयरी उद्योग हमारे देश की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह गर्व की बात है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है. भारत का वैश्विक दूध उत्पादन में लगभग 22 प्रतिशत हिस्सा है. डेयरी सेक्टर का देश की GDP में लगभग 5 प्रतिशत योगदान है. साथ ही डेयरी उद्योग भारत के लगभग 8 करोड़ परिवारों को आजीविका प्रदान करता है. इसलिए ICAR-NDRI जैसे संस्थानों की देश के समावेशी विकास में महत्वपूर्ण भूमिका है. 

डेयरी उद्योग में नारी-शक्ति अहम भूमिका

 राष्ट्रपत‍ि द्रौपदी मुर्मू ने कहा क‍ि भारत में डेयरी उद्योग के प्रबंधन में नारी-शक्ति अहम भूमिका निभा रही हैं. डेयरी सेक्टर में 70 प्रतिशत से अधिक भागीदारी महिलाओं की है. यह बहुत ही खुशी की बात है कि आज डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में एक-तिहाई से अधिक लड़कियां हैं और मुझसे गोल्ड मेडल प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में भी 50 प्रतिशत लड़कियां हैं. डेयरी सेक्टर का महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के साथ-साथ उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में बदलाव लाने में ख़ास महत्व है. हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि इन महिलाओं के पास निर्णय लेने और नेतृत्व प्रदान करने के लिए समान अधिकार और अवसर हों. इसके लिए इन महिलाओं को शिक्षा, प्रशिक्षण और कौशल विकास के लिए अधिक अवसर उपलब्ध कराने की आवश्यकता है. 

NDRI ने अपनी उत्कृष्टता से एक वैश्विक पहचान बनाई

 राष्ट्रपत‍ि द्रौपदी मुर्मू ने कहा क‍ि वर्ष 1923 में स्थापित NDRI ने भारत में डेयरी उद्योग के विकास में विशेष योगदान दिया है. इस संस्थान द्वारा किए गए अनुसंधान ने डेयरी उत्पादन के क्षेत्र में उत्पादकता, कुशलता और गुणवत्ता को सुधारने में मदद की है. NDRI ने अपनी उत्कृष्टता से एक वैश्विक पहचान बनायी है. साथ ही उन्होंने कहा कि मैं NDRI के शताब्दी समारोह के लिए आप सबको बधाई देती हूं. इस संस्थान से जुड़े सभी पूर्ववर्ती और वर्तमान वैज्ञानिकों, शिक्षकों, कर्मचारियों और विद्यार्थियों की भी मैं सराहना करती हूं.

भैंसों और गायों के क्लोन विकसित करने की तकनीक

 राष्ट्रपत‍ि द्रौपदी मुर्मू ने कहा क‍ि भारत में गाय और भैंस की अनेक प्रजातियां पाई जाती है. कुछ नस्लें दूसरे नस्लों की तुलना में चार से पांच गुना अधिक दूध देने की क्षमता रखती हैं. मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि NDRI द्वारा अधिक दूध देने वाली भैंसों और गायों के क्लोन का उत्पादन करने की तकनीक विकसित की गई है. इससे पशुओं की दुग्ध उत्पादन क्षमता को बढ़ाया जा सकेगा और किसानों की आय में वृद्धि होगी.

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बढ़ती आबादी के कारण बढ़ रही है दूध से जुड़े उत्पादों की मांग 

 राष्ट्रपत‍ि द्रौपदी मुर्मू ने कहा क‍ि देश की बढ़ती आबादी के कारण दूध से जुड़े उत्पादों की मांग बढ़ रही है. इसके साथ ही पशुओं के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले चारे का प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में बदलाव और पशुओं की बीमारियां. इन सभी समस्याओं से डेयरी सेक्टर जूझ रहा है. दूध उत्पादन और डेयरी फार्मिंग को टिकाऊ बनाना हमारे समक्ष एक चुनौती है, जिसका समाधान निकाल कर देश की जरूरतों को पूरा करने की जिम्मेदारी सरकार सहित सभी हितधारकों की है. 

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