बिहार के मुजफ्फरपुर की शाही लीची देश विदेश में काफी प्रसिद्ध है. बिहार में सबसे अधिक लीची का उत्पादन होता है. मुजफ्फरपुर की शाही लीची अपने स्वाद के लिए मशहूर है. गर्मी आते ही लोगों को शाही लीची का स्वाद लेने का मन होता है. हर गर्मियों में लोग मुजफ्फरपुर के शाही लीची का इंतजार करते हैं. अब उस शाही लीची के स्वाद को पूरे राज्य भर में फैलाने के लिए राज्य सरकार ने एक अहम कदम उठाया है. दरअसल राज्य सरकार अब लीची की खेती को अन्य जिलों तक भी पहुंचाने की कोशिश में जुटी हुई है. इसके लिए राज्य के कृषि विभाग ने राज्य के 11 जिलों को चिन्हित किया है, जहां अब लीची का उत्पादन किया जाएगा. आइए जानते हैं ज्य के किन जिलों को सरकार ने किया है चिन्हित.
मुजफ्फरपुर जिले के शाही लीची की मांग बिहार के अलावा देश के कई अन्य शहरों में भी है. इस मांग को पूरा करने में किसानों को और कृषि विभाग को काफी परेशानियां होती हैं. क्योंकि तोड़ी गई लीची को बहुत दिनों तक नहीं रखा जा सकता है. इस कारण से कृषि विभाग राज्य के अन्य जिलों में भी लीची का रकबा बढ़ाने की कोशिश कर रही है. साथ ही विभाग द्वारा ऐसे जिलों को चिन्हित किया गया है जहां आसानी से लीची का उत्पादन किया जा सके. इसको लेकर कृषि विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि राज्य के 11 जिले चिन्हित हुए हैं.
बढ़ेगा लीची का रकबा,राज्य के कई जिलों में भूमि चिन्हित @saravanakr_n @KumarSarvjeet6@HorticultureBih@BametiBihar#BiharAgricultureDept pic.twitter.com/UmKd44cHeD
— Agriculture Department, Govt. of Bihar (@Agribih) April 17, 2023
कृषि विभाग के अधिकारी ने कहा कि चिन्हित भूमि पर लीची की खेती का प्रयास किया जाएगा. साथ ही कुछ और अन्य जिलों को इससे जोड़ा जाएगा. उन्होंने कहा कि 11 जिलों में काफी बड़े तादाद में जमीन की पहचान की गई है. उसमें सबसे अधिक जमीन पूर्णिया में चिन्हित की गई है. पूर्णिया में 303281 हेक्टेयर जमीन, पटना में 124329 हेक्टेयर, मुजफ्फरपुर में 153418 हेक्टेयर, पूर्वी चंपारण में 300271 हेक्टेयर, मधुबनी में 275541 हेक्टेयर, कटिहार में 263518 हेक्टेयर, बांका में 235738 हेक्टेयर, औरंगाबाद में 198376 हेक्टेयर, सीतामढ़ी में 167797 हेक्टेयर और भागलपुर में 131687 हेक्टेयर जमीन को चिन्हित किया गया है. अब बिहार में शाही लीची के उत्पादन में और भी बढ़ोतरी होगी. जिससे किसानों को काफी फायदा होगा.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today