महाराष्ट्र सरकार ने बकरीद के ऐन पहले पशु बाजार पर कुछ प्रतिबंध लागू कर दिए हैं. अब सरकार के नए ऑर्डर पर जमकर बवाल हो रहा है. सरकार की तरफ से एक सर्कुलर जारी कर कुछ नियमों को लागू कर दिया गया है. आलोचकों का कहना है कि सरकार का यह फैसला किसानों के लिए बुरा प्रभाव लेकर आएगा. साथ ही इससे उनकी आय पर भी बुरा प्रभाव पड़ेगा. विपक्षी इस आदेश को चुनौती देने की तैयारी कर चुके हैं.
स्वदेशी गायों के कल्याण के लिए बने महाराष्ट्र गोसेवा आयोग ने पिछले दिनों राज्य की सभी कृषि उपज मंडी समितियों (एपीएमसी) को एक सर्कुलर जारी किया है. इस सर्कुलर के अनुसार राज्य में बकरीद 2025 का त्यौहार मनाते समय महाराष्ट्र पशु संरक्षण अधिनियम 1976 और महाराष्ट्र पशु संरक्षण (संशोधन) अधिनियम 1995 (संशोधन 4 मार्च 2015) को लागू किया जाना चाहिए. इस एक्ट के बाद राज्य में गायों के अलावा बैलों और सांडों की हत्या प्रतिबंधित हो गई है. साथ ही इन जानवरों की उम्र या स्वास्थ्य की परवाह किए बिना उनके परिवहन, बिक्री और कब्जा भी बैन है.
सर्कुलर में कहा गया है, 'इस त्यौहार (बकरीद) के लिए बड़ी संख्या में पशुओं का वध/बलिदान किया जाएगा. महाराष्ट्र पशु संरक्षण अधिनियम 1995 (संशोधन 4 मार्च 2015) ने राज्य में गोहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लागू किया है. इस अधिनियम की धारा 5ए मवेशियों के वध, वध के लिए मवेशियों की बिक्री, हत्या के लिए मवेशियों की बिक्री, हत्या के लिए मवेशियों की खरीद और बिक्री, हत्या के लिए मवेशियों की बिक्री, और राज्य के बाहर मारे गए मवेशियों की बिक्री पर रोक लगाती है.'
अखबार द हिंदू के अनुसार सर्कुलर में एपीएमसी को जानकारी दी गई है कि आयोग यह सुनिश्चित करेगा कि 3 जून, 2025 से 8 जून, 2025 तक किसी भी जिले के गांवों में कोई पशु बाजार न लगे ताकि एक्ट का उल्लंघन न हो. अब इस सर्कुलर वरिष्ठ राजनेता और वंचित बहुजन अघाड़ी के संस्थापक प्रकाश अंबेडकर ने कहा कि मवेशी बाजार समिति के सदस्यों ने उनसे सर्कुलर का विरोध करने के लिए गाइडेंस मांगा है. उनका कहना था, 'हम इस सर्कुलर का कड़ा विरोध करते हैं और इसे चुनौती देने की प्रक्रिया में हैं. राज्य ने पहले ही गोहत्या पर प्रतिबंध लगा दिया है, लेकिन बिक्री की उम्मीद वाले दिनों में पूरे बाजार पर प्रतिबंध लगाना दिहाड़ी किसानों और इस पर निर्भर लोगों की के खिलाफ एक कठोर कदम है.' इस सर्कुलर के कारण इतने सारे लोगों को होने वाले नुकसान की भरपाई कौन करेगा?'
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