फिल्म और फिल्म का करैक्टर विक्की डोनर तो आपको याद ही होगा. वो बात रील की थी, लेकिन इस खबर में हम आपको भैंसों के रियल विक्की डोनर के बारे में बताने जा रहे हैं. अपनी कई खूबियों के चलते भैंसों का ये विक्की डोनर देश का इकलौता डोनर है. देशभर में इसकी इसके सीमेने की डिमांड रहती है. हर पशुपालक की चाहत होती है कि उसकी भैंस के लिए उसे हिसार गौरव सीमेन मिल जाए. जी हां, यही नाम है विक्की डोनर का. सेंट्रल बफैलो रिसर्च इंस्टीट्यूट (CIRB), हिसार, हरियाणा में इसे तैयार किया गया है. इसे पीटी बुल का खिताब मिला हुआ है.
ये देश का पहला क्लोन पीटी बुल है. ये इतना खास है कि इसका सीमेन आम पशुपालकों को ना देकर रिसर्च के मकसद से इस्तेमाल किया जा रहा है. लेकिन इसके सीमेन से पैदा होने वाले इसके दो बेटों के सीमेन की दो लाख डोज अभी तक किसानों को बेची जा चुकी हैं. आरओ के पानी से नहाने वाले हिसार गौरव की डाइट भी एक्सपर्ट तैयार करते हैं. गौरव अब 10 साल का चुका है.
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हिसार गौरव पर रिसर्च करने वाले CIRB के साइंटिस्ट डॉ. पीएस यादव ने किसान तक को बताया कि रिसर्च के दौरान गौरव के सीमेन से पैदा होने वाली भैंसों के दूध उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है. एक ब्यांत में 300 से 600 लीटर दूध की बढ़ोतरी हुई है. अभी तक गौरव के सीमेन से आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन (कृत्रिम गर्भाधान) के लिए 22 हजार डोज तैयार की गई हैं. इतना ही नहीं गौरव के सीमेन से पैदा होने वाले बछड़ों में 45 फीसद संख्या मादा की है. ये पीटी बुल की एक बड़ी पहचान होती है. गौरव का जन्म 11 दिसम्बर, 2015 को CIRB परिसर में हुआ था. गौरव को पी टी बुल का 4354 नंबर दिया गया है. मंगलवार को ही गौरव का 10वां जन्मदिन मनाया गया है. डायरेक्टर टीके दत्ता ने इस मौके पर केक भी काटा. ये क्लोन पीटी बुल है.
CIRB के साइंटिस्ट का कहना है कि गौरव के स्वस्थ्य का भी बहुत ख्याल रखा जाता है. गौरव को आरओ के पानी से नहलाया जाता है. आरओ का होने के बावजूद नहलाने से पहले पानी का टीडीएस चेक किया जाता है. CIRB में न्यूट्रीशन डिपार्टमेंट है. यहां गौरव की डाइट का चार्ट तैयार किया जाता है. अभी गौरव का वजन एक हजार किलो है. इसी हिसाब से दिन में गौरव को खाने के लिए दिया जाता है.
वजन के हिसाब से गौरव को दाना और हरा चारा खाने के लिए दिया जाता है. डॉ. पीएस यादव का कहना है कि गौरव से ज्यादा सीमेन इसलिए नहीं लिया जा रहा है क्योंकि गौरव के सीमेन का नस्ल सुधार के काम में लिया जा रहा है. वहीं एक एक पीटी बुल में तीन खास बातों का होना जरूरी है. जैसे एक तो ये कि उसकी बेटियां ज्यादा दूध देने वाली हों. हर साल वक्त से गाभिन होकर बच्चा दे रही हों. तीसरा ये कि उन्हें कोई अनुवांशिक बीमारियां ना हों.
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