गर्मियों के मौसम में बकरियों को डिहाइड्रेशन और डायरिया की बीमारी अक्सर परेशानी करती है. कई बार तो वक्त से बीमारी की पहचान न होने और जरूरी इलाज न मिलने से बकरियों की जान पर बन आती है. हालांकि डिहाइड्रेशन, डायरिया और निमोनिया आदि बीमारियों के लक्षण बकरियों को देखते ही पता चल जाते हैं. इसलिए बकरी पालन करने वालों के लिए ये बहुत जरूरी हो जाता है कि वो बकरियों को देखकर बीमारियों की पहचान कर सकें. क्योंकि ये कोई जरूरी नहीं कि बकरी की जांच के बाद ही पता चलेगा कि वो बीमार है.
अगर आप अनुभवी हैं और बकरियों के बाड़े पर लगातार नजर रखते हैं तो वक्त रहते पता चल जाता है कि आपकी बकरी बीमार है या फिर बीमार होने वाली है. गोट एक्सपर्ट की मानें तो सिर्फ बकरी की मेंगनी और उसके यूरिन को देखकर ही बीमारी का पता लगाया जा सकता है. ऐसे में डॉक्टर के पास जाने से पहले मेंगनी और यूरिन की जांच भी कराई जा सकती है.
एनीमल एक्सपर्ट डॉ. इब्न-ए-अली का कहना है कि अगर बकरी गोल, चमकदार और सॉलिड मेंगनी कर रही है तो समझ लिजिए कि आपकी बकरी का पेट बिल्कुल ठीक है. मतलब बकरी हेल्दी है. लेकिन, अगर बकरी की मेंगनी आपस में चिपकी हुई और गुच्छे की शक्ल में आ रही है तो फौरन अलर्ट हो जाइए कि आपकी बकरी बीमार होने वाली है. अगर मेंगनी पेस्ट जैसी हो रही है तो यह तय मान लिजिए कि बकरी की आंत में किसी न किसी तरह का इंफेक्शन हो चुका है. या फिर बकरी डायरिया की चपेट में आ चुकी है. ऐसे में सबसे पहला काम यह होना चाहिए कि पशुपालक उन मेंगनी को एक जिप वाली पॉलीथिन में भरकर पशु चिकित्सा से जुड़ी किसी लैब में ले जाकर उसकी जांच कराए.
डॉ. अली का कहना है कि यूरिन की निगरानी से भी बहुत सारी बीमारियां पहले से पता चल जाती हैं. पशुपालकों को हमेशा या याद रखना चाहिए कि अगर बकरी का यूरिन भूरे रंग का है तो वो सामान्य है. अगर गहरे पीले रंग का यूरिन आ रहा है तो इसका मतलब बकरे-बकरी ने पानी कम पिया है और उन्हें डिहाइड्रेशन है. और अगर यह रंग और ज्यादा गहरा पीला हो जाए और उसमे लालपन आने लगे तो समझ जाइए कि बकरी और बकरे के यूरिन की जगह पर कोई चोट लगी है. और अगर कभी यूरिन कॉफी कलर का आने लगे तो समझिए कि उसके खून में इंफेक्शन है.
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