कम लागत में ज्यादा मुनाफा कैसे हो, पशुपालकों की इनकम कैसे बढ़े. पशुपालक प्रदूषण के कम करने में मददगार कैसे बनें. यहां तक की डेयरी के वेस्ट को बेचकर भी पैसे कैसे कमाए जाएं इसके लिए सरकार लागतार पशुपालकों की मदद कर रही है. नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड (NDDB) इसके लिए पशुपालकों को तकनीकी सहायता दे रहा है. यही वजह है कि अब पशुपालकों दूध के साथ-साथ गोबर बेचकर भी मुनाफा कमा रहे हैं. यूपी के वाराणसी में एक प्लांट पर किसान दूध के साथ हर महीने करोड़ों रुपये का गोबर बेच रहे हैं.
हैरत की बात ये है कि इससे डेयरी प्लांट को भी खूब मुनाफा हो रहा है. गौरतलब रहे कुछ वक्त पहले ही पीएम नरेन्द्र मोदी भी इस प्लांट का दौरा कर चुके हैं. वाराणसी दुग्ध संघ का ये प्लांट है. वहीं NDDB इस प्लांट का संचालन कर रही है. हाल ही में केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने इस प्लांट का दौरा किया था.
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NDDB की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक इस प्लांट में हर महीने 2 हजार टन गोबर खरीदा जा रहा है. अभी हाल ही में पशुपालकों को गोबर का 2.5 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है. इतना ही नहीं हर रोज 1.35 लाख लीटर दूध भी पशुपालक इस प्लांट पर बेच रहे हैं. जबकि NDDB के संचालन से पहले इस प्लांट पर सिर्फ चार हजार लीटर ही दूध खरीदा जा रहा था. लेकिन अब ये आंकड़ा डेढ़ लाख को छूने वाला है. प्लांट की प्रोसेसिंग क्षमता भी दो लाख लीटर रोजाना की हो चुकी है. जल्द ही प्लांट में मिल्क पाउडर, फरमेंटेड प्रॉडक्ट और वाराणसी की पारंपरिक मिठाइयों का उत्पादन भी शुरू हो जाएगा.
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NDDB की मानें तो प्लांट में किसानों से खरीदे गए गोबर से बायोगैस तैयार की जाती है. इस गैस का इस्तेमाल मिल्क प्रोसेसिंग में किया जाता है. ये गैस प्लांट की थर्मल और इलेक्ट्रिक दोनों ही जरूरतों को पूरा कर रहा है. इसके लिए हर महीने दो हजार टन गोबर पशुपालकों से खरीदा जाता है. इससे किसानों को तो फायदा हो रही रहा है, साथ में प्लांट को भी एक लीटर मिल्क प्रोसेसिंग पर 50 पैसे की बचत हो रही है. वहीं NDDB की इस पहल से मीथेन गैस का उत्सर्जन भी कम हो रहा है. वहीं गांव भी स्वच्छ हो रहे हैं.
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