Milking Goat Breed ये बात सही है कि बकरियों को दूध से ज्यादा मीट के लिए पाला जाता है. लेकिन ऐसा नहीं है कि दूध उत्पादन के मामले में बकरियों की कोई अहमियत ही नहीं रही है. आज भी देश ही नहीं विदेशों में भी बकरियों की कई ऐसी नस्ल हैं जो ज्यादा दूध उत्पादन के लिए अपनी पहचान रखती हैं. भारत में बीटल नस्ल की बकरी तो विदेशों में सानेन नस्ल की बकरी को ज्यादा दूध देने के लिए जाना जाता है. गोट एक्सपर्ट की मानें तो बकरियों की आठ ऐसी नस्ल हैं जो ज्यादा दूध उत्पादन और दूध में ज्यादा फैट के लिए पाली जाती हैं.
मूल स्थान: स्विट्जरलैंड
दूध उत्पादन: उच्चतम (औसतन 3-4 लीटर प्रति दिन).
नस्ल की खासियत: साइज बड़ा, रंग सफेद और शांत स्वभाव.
दूध की गुणवत्ता: फैट 2.5-3 फीसद.
मूल स्थान: स्विट्जरलैंड
दूध उत्पादन: मध्यम से उच्च (2-3 लीटर प्रति दिन.
खासियत: मीडियम साइज, सफेद निशानों वाला हल्का भूरा रंग.
दूध की गुणवत्ता: फैट 3-4 फीसद.
मूल स्थान: फ़्रांस
दूध उत्पादन: उच्च (3-4 लीटर प्रति दिन.
खासियत: हार्ड नस्ल, विभिन्न जलवायु में पलने वाली कई रंग की होती है.
दूध की गुणवत्ता: फैट 3.5 फीसद.
मूल स्थान: इंग्लैंड
दूध उत्पादन: मध्यम 1.5-2.5 लीटर प्रति दिन.
खासियत: बड़े, लंबे कान, दूध और मीट दोनों के लिए पाली जाती है.
दूध की गुणवत्ता: हाई फैट 4-5 फीसद और पनीर के लिए आदर्श.
मूल स्थान: अमेरिका
दूध उत्पादन: मध्यम से उच्च 2-3 लीटर प्रति दिन.
खासियत: छोटे या बिना बाहरी कान, शांत.
दूध की गुणवत्ता: फैट 4 फीसद तक.
मूल स्थान: स्विट्ज़रलैंड
दूध उत्पादन: मध्यम 1.5-2.5 लीटर प्रति दिन.
खासियत: मध्यम आकार, काले धब्बों वाला लाल-भूरा.
दूध की गुणवत्ता: फैट 3.5-4 फीसद तक.
मूल स्थान: पश्चिम अफ्रीका
दूध उत्पादन: 0.5 से एक लीटर प्रति दिन.
खासियत: छोटा साइज, रंगीन और मिलनसार.
दूध की गुणवत्ता: बहुत अधिक मक्खन वसा (5-6 फीसद तक.
बीटल एक लोकप्रिय बकरी नस्ल है जो भारत और पाकिस्तान में दूध और मांस उत्पादन के लिए पाली जाती है. बकरी के दूध में वसा की मात्रा गाय के दूध की तुलना में थोड़ी अधिक होती है, और बीटल बकरी के दूध में भी लगभग 3.5 से 4.5 फीसद वसा होती है, कुछ स्रोतों के अनुसार. नाइजीरियाई बौनी बकरियां बीटल के मुकाबले छह से 10 फीसद तक फैट वाला दूध देती हैं. कुछ बकरी पांच फीसद तक फैट वाला दूध देती हैं. फैट और दूध की मात्रा बकरियों को खाने में दी जा रही खुराक और नस्ल और व्यक्तिगत बकरियों की स्थिति पर निर्भर करती है. ये काले रंग की होती है और इसका मूल स्थान पंजाब है.
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