Sahiwal Cows: साहीवाल गायों में बांझपन की समस्या का मिलेगा असरदार समाधान, BHU ने हासिल की बड़ी सफलता

Sahiwal Cows: साहीवाल गायों में बांझपन की समस्या का मिलेगा असरदार समाधान, BHU ने हासिल की बड़ी सफलता

Sahiwal Cows: कृषि विज्ञान संस्थान ने हाल ही में दो साहीवाल गायों से एक ही दिन में 31 भ्रूण प्राप्त किए हैं. एक डोनर साहीवाल गाय से 23 भ्रूण बिना सर्जरी के मिले और एक दूसरी साहीवाल गाय से भी भ्रूण उत्पन्न किए गए. इस प्रोजेक्ट में लगे वैज्ञानिकों की मानें तो इस तकनीक से गायों में कम दूध उत्पादन और बांझपन की समस्या का समाधान मिलेगा.

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साहीवाल गायों में बांझपन की समस्या का मिलेगा असरदार समाधान, BHU ने हासिल की बड़ी सफलतासाहीवाल गाय और उससे उत्पन्न किए गए भ्रूण

कृषि विज्ञान संस्थान को दो उत्कृष्ट देशी साहीवाल गायों से मल्टीपल ओव्यूलेशन और भ्रूण स्थानांतरण (MOET) प्रक्रियाओं के माध्यम से कुल 31 भ्रूण प्राप्त करने में सफलता मिली है. राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) के अंतर्गत ये एक ऐतिहासिक उपलब्धि है जिसमें, राजीव गांधी दक्षिणी परिसर (RGSC), बीएचयू बरकछा स्थित कृषि विज्ञान संस्थान के पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान संकाय ने गोजातीय प्रजनन में अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल की है.

गायों का बांझपन होगा ठीक, उत्पादकता बढ़ेगी

बताया जा रहा है कि एक डोनर साहीवाल गाय से बिना सर्जरी के भ्रूण प्राप्त हुए, जिससे 23 भ्रूण मिले. इनमें से आठ को स्थानांतरण योग्य माना गया. इसके तुरंत बाद, एक दूसरी साहीवाल गाय ने 8 व्यवहार्य भ्रूण उत्पन्न किए, जिससे उस दिन कुल भ्रूणों की संख्या 31 हो गई, जो FVAS में एक अनूठी उपलब्धि है. डॉ. मनीष कुमार, डॉ. कौस्तुभ के. सराफ और डॉ. अजीत सिंह के नेतृत्व में एमओईटी की इस पहल का उद्देश्य आनुवंशिक रूप से श्रेष्ठ दुधारू मवेशियों की संख्या में तेज़ी से वृद्धि करना है.

उच्च-उत्पादक डोनर गायों से कई भ्रूण प्राप्त करके और उन्हें कम-उत्पादक सरोगेट गायों में प्रत्यारोपित किया जाता है. यह प्रोजेक्ट न केवल गायों के झुंड में सुधार को गति देती है, बल्कि बांझपन की समस्याओं का भी प्रभावी ढंग से समाधान करती है. जब इसे सेक्स-सॉर्टेड वीर्य का उपयोग करके कृत्रिम गर्भाधान के साथ जोड़ा जाता है, तो यह तकनीक एक संक्षिप्त समय-सीमा के भीतर साहीवाल गायों की उत्कृष्ट मादा बछड़ों के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि करती है.

इसी तकनीक से 3 बछड़ों का जन्म

गौरतलब है कि इस तकनीक की सफलता पहले से ही दिखाई दे रही है. बीएचयू बरकछा में तीन उत्कृष्ट साहीवाल मादा बछड़ों का जन्म हो चुका है, जो इस प्रोजेक्ट की सफलता और क्षमता को रेखांकित करता है. विश्वविद्यालय के अधिकारी इसके लिए हर संभव सहयोग प्रदान कर रहे हैं. प्रधान अन्वेषक डॉ. मनीष कुमार ने निकट भविष्य में और भी बड़ी सफलता की आशा व्यक्त की और इस बात पर जोर दिया कि आज की सफलता पशुधन आनुवंशिकी में और अधिक परिवर्तनकारी कामों की शुरुआ

साहीवाल किस्म क्यों है खास?

दरअसल, साहीवाल गाय भारतीय मूल की एक सबसे दुधारू नस्ल वाली गायों में से एक है. साहीवाल को मौसमी सहनशक्ति, दूध का बढ़िया उत्पादन और अच्छी रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जाना जाता है. साहीवाल गाय भारत की प्रचंड गर्मी और सूखे जैसे हालातों में भी आराम से रह लेती है. खास बात है कि साहीवाल गाय अपने एक ब्यात में 2200 लीटर से ज्यादा तक दूध दे सकती है, यानी एक दिन में 10 से 16 लीटर दूध देने की क्षमता है.

(सोर्स- ANI)

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