पशुपालन में बछड़ों की बहुत अहमियत होती है. क्योंकि दूध के साथ-साथ बछड़ा भी आय का बड़ा साधन है. क्योंकि बड़ा किया तो दूध देगा या फिर मीट के लिए तैयार हो जाएगा. और अगर एक साल की उम्र तक बड़ा करने के बाद भी बेचा तो अच्छे दाम मिलेंगे. पशुपालन और डेयरी के अर्थशास्त्र में बछड़े के जन्म (री प्रोडक्शन) को सबसे बड़े मुनाफे के तौर पर देखा जाता है. इसलिए ये जरूरी है कि हर मौसम में बछड़ों की खास देखभाल की जाए. खासतौर पर सर्दियों के दौरान.
क्योंकि सर्दी लगने से बछड़ों को निमोनिया होने का खतरा ज्यादा रहता है. इसलिए बछड़ों को सर्दियों में बीमारी से बचाने के लिए पशु शेड में पूरे इंतजाम किए जाएं. शेड में हवा आने-जाने के लिए रोशनदान हों. ठंडे फर्श से बछड़ों को बचाया जाए. ठंड ज्यादा हो तो बछड़ों को मोटे कपड़े लपेटे जा सकते हैं. वहीं संक्रमण फैलाने वाले कीट-पंतगों से बचाना भी जरूरी हो जाता है.
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जन्म से लेकर 6-8 महीने बछड़ों को बहुत देखभाल की जरूरत होती है. एनीमल एक्सपर्ट का कहना है कि हर बदलते मौसम में बछड़ों को खास देखभाल चाहिए होती है. सर्दी के मौसम में ये देखभाल बहुत जरूरी हो जाती है. अगर बदलते मौसम में पशु को किसी भी तरह का तनाव होता है तो मान लिजिए कि उसकी ग्रोथ पर इसका सीधा असर पड़ेगा.
ठंडे फर्श से बचाने के लिए बछड़ों को बिस्तर पर ही बैठाना चाहिए.
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