Fish Farming Tips: क्या सितम्बर में मछली पालकों को तालाब में खास काम करना होता है, पढ़ें डिटेल 

Fish Farming Tips: क्या सितम्बर में मछली पालकों को तालाब में खास काम करना होता है, पढ़ें डिटेल 

Fish Farming Tips for Monsoon मौसम और तापमान में होने वाले बदलाव के मुताबिक ही मछलियों को दिया जाने वाला फीड तय किया जाता है. फीड की मात्रा ही मछलियों की ग्रोथ में सहायक होती है. साथ ही तालाब के पानी पर दवाई का छिड़काव भी जरूरी हो जाता है. वर्ना मछलियों की मौत होने लगती है. इसलिए सितम्बर में मछली पालकों का काम बढ़ जाता है.  

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Fish Farming Tips: क्या सितम्बर में मछली पालकों को तालाब में खास काम करना होता है, पढ़ें डिटेल मछुआरों को मिलेगा सम्मान

Fish Farming Tips for Monsoon सितम्बर में तीन तरह के मौसम का सामना करना पड़ता है. गर्मी-बरसात के बीच इसी महीने मौसम बदलता है. खासतौर से मछली पालकों को बहुत ज्यादा अलर्ट रहने की जरूरत होती है. बरसात के चलते तालाब का पानी दूषि‍त होने की आशंका बनी रहती है. वहीं नमी के चलते फीड में इंफेक्शन का खतरा भी रहता है. डिप्टी डायरेक्टर जनरल (DDG) डॉ. जेके जैना ने किसान तक (Kisan Tak) को बताया कि इस दौरान तालाब के पानी में ऑक्सीजन बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती होती है. साथ ही मौसम के मुताबिक किस मछली को कितना फीड देना है या भी बहुत बारीकी से देखना होता है. 

पंगेशियस मछली पालन करने वाले सितम्बर में क्या करें? 

  • पंगेशियस मछली पालन करने वाले सितम्बर में फीड का खास ख्याल रखें. 
  • पंगेशियस मछली को पहले से छठे महीने तक उसके कुल वजन का 1.5 फीसद से लेकर 2, 3, 4, 5 और 6 फीसद तक फीड देना चाहिए. 
  • पंगेशि‍यस मछली को उसकी उम्र के हिसाब से प्रोटीन फीड जरूर देना चाहिए. 
  • पंगेशियस मछली को पहले दो महीने 32 फीसद प्रोटीन देना चाहिए.
  • पंगेशि‍यस मछली को तीन से चार महीने में 28 फीसद प्रोटीन देना चाहिए. 
  • पंगेशि‍यस मछली को पांचवे महीने में 25 और छठे महीने में 20 फीसद प्रोटीन फीड देना चाहिए. 
  • पंगेशियस के तालाब में दूसरे महीने में 20 किग्रा प्रति एकड़ की दर से नमक का छिड़काव करें.

तालाब की मछलियों को संक्रमण से बचाने के लिए क्या करें? 

  • बरसात में तालाब के पानी में संक्रमण की आशंका बनी रहती है. इससे मछलिया भी प्रभावित होती हैं. 
  • तालाब में मछलियों को संक्रमण से बचाने के लिए चूने का इस्तेमाल करें. 
  • हर 15 दिन पर 10-15 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से चूने के घोल का छिड़काव करें. 
  • तालाब का पानी भी बरसात में दूषि‍त हो जाता है. 
  • पानी का संक्रमण दूर करने के लिए महीने में एक बार प्रति एकड़ की दर से 400 ग्राम पोटाशियम परमेग्नेट और पानी का घोल बनाकर छिड़काव करें.
  • मछली को पारासाईटिक संक्रमण से बचाने हेतु फसल चक्र में दूसरे महीने में दो बार 40 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से नमक को पानी में घोल कर छिड़क दें. 
  • महीने में एक सप्ताह प्रति किलोग्राम फीड में 10 ग्राम नमक मिलाकर मछलियों को खिलाएं. 

बरसात में मछली के तालाब में क्या-क्या काम करने चाहिए?

  • पानी का तापमान 20 डिग्री से कम और 36 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा है तो फीड आधा कर दें. 
  • तालाब का पानी ज्यादा हरा हो जाए तो तालाब में रासायनिक उर्वरक और चूने का इस्तेमाल रोक दें. 
  • तालाब का पानी ज्यादा हरा हो जाए और कंट्रोल ना हो तो रसायन का इस्तेमाल करें. 
  • हरे पानी में दोपहर के वक्त 800 ग्राम कॉपर सल्फेट या 250 ग्राम एट्राजीन आधा एकड़ की दर से 100 लीटर पानी में घोल बनाकर तालाब में छिड़क दें. 
  • तालाब में ऑक्सीजन कम होने पर लेवल बढ़ाने वाले टेवलेट का छिड़काव 400 ग्राम प्रति एकड़ की दर से करें.
  • मछली का वजन बढ़ाने के लिए प्रति किलोग्राम फीड में 10 ग्राम मिनरल मिक्सचर, 2-5 ग्राम गट प्रोबायोटिक्स को वनस्पति तेल या बाजार में उपलब्ध कोई भी बाईंडर 30 एमएल मिलाकर रोजाना दे सकते हैं.  
  • तालाब में ऑक्सीजन का लेवल बढ़ाने के लिए सुबह-शाम दो-दो घंटे एरेटर चलाएं. 
  • नर्सरी तालाब में रासायनिक खाद का इस्तेमाल ज्यादा नहीं करना चाहिए. 
  • मछली बीज का उत्पादन करने वाले सितम्बर में काम ना करें. 

निष्कर्ष-

तालाब में पाली जाने वाली मछलियों की ग्रोथ पूरी तरह से तालाब के पानी, खाने को दिए जाने वाले फीड और तालाब के रखरखाव पर टिकी होती है. वजन जितना ज्यादा होगा उतना ही अच्छा रेट मिलेगा. इसलिए बरसात के साथ ही सभी मौसम में तालाब, पानी और फीड पर पूरा ध्यान दिया जाना चाहिए.

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