Animal Care: शेड, फीड, सफाई और बायो सिक्योरिटी, बरसात में पशुओं के लिए ये सब क्यों जरूरी है Animal Care: शेड, फीड, सफाई और बायो सिक्योरिटी, बरसात में पशुओं के लिए ये सब क्यों जरूरी है
Animal Care in Monsoon दुधारू पशु छोटी सी परेशानी के चलते तनाव में आ जाते हैं. और तनाव में आए पशु का सबसे पहले उत्पादन पर असर पड़ता है. जबकि बरसात में तो कई वजह ऐसी होती हैं जिसके चलते पशु जल्दी तनाव में आ सकते हैं. शेड, फीड और पानी उन्हीं में से एक है. और अगर ऐसे में ठीक से देखभाल न हो तो भी पशु तनाव में आ जाता है.
मॉनसून में पशु और पशुपालकों के लिए कई तरह की परेशानियां होने लगती हैं. नासिर हुसैन - New Delhi,
- Jul 18, 2025,
- Updated Jul 18, 2025, 3:57 PM IST
Animal Care in Monsoon मॉनसून में बरसात से जितनी राहत मिलती है उससे कहीं ज्यादा पशु और पशुपालकों के लिए परेशानियां खड़ी हो जाती हैं. मॉनसून में नमी के चलते फीड के खराब होने का खतरा बना रहता है. पानी प्रदूषित हो जाता है. जलभराव और छत रिसने से शेड दलदली हो जाता है. इतना ही नहीं इस मौसम में पशुओं को सबसे ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है. सेंट्रल बफैलो रिसर्च इंस्टीट्यूट (CIRB), हिसार हरियाणा के रिटायर्ड साइंटिस्ट डॉ. सज्जन सिंह ने किसान तक (Kisan Tak) को बताया कि मॉनूसन के दौरान पशुओं को सबसे ज्यादा परेशानी संक्रमण से होती है. इसलिए इस मौसम में बायो सिक्योरिटी का पालन करना चाहिए.
शेड में पानी भरा हो तो क्या परेशानी होती है?
- बरसात के दौरान पशु शेड की छत से पानी रिसाना एक आम परेशानी है. पानी का रिसाव नमी की वजह बनता है, जिससे शेड का फर्श गीला रहता है.
- शेड में गोबर और मूत्र पहले से होता है, और फिर जैसे ही पानी मिल जाता है तो अमोनिया गैस बनने लगती है. यही गैस पशु और पशुपालक को परेशान करती है. इसके चलते आंखों में जलन होने लगती है.
- पानी का रिसना और गंदे शेड के चलते कोक्सीडियोसिस जैसी बीमारियां होने लगती हैं.
- पशुओं के खुर लगातार गीले रहने से फुट सेंट यानी खुर सड़न की परेशानी हो जाती है.
- शेड की छत वाटर प्रूफ बनाएं. रिसने पर वक्त से मरम्मत कराएं और नालियों को साफ रखें.
बरसात का पशुओं के चारे पर क्या असर पड़ता है?
- बरसात में होने वाली हरी घास में पानी की मात्रा ज्यादा हो जाती है.
- बरसात की हरी घास में पानी ज्यादा हो जाने से पोषक तत्व कम हो जाते हैं.
- पशु जब बरसात की हरी घास खाता है तो वो पतला गोबर करने लगता है.
- नमी वाली हरी घास खाने और पतला गोबर करने से इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी हो जाती है.
- बरसाती हरी घास का पशु के दूध उत्पादन और प्रजनन क्षमता पर भी असर पड़ता है.
- बरसात में हरी घास को धूप में सुखाकर या छाया में मुरझाकर दें.
- घास में सूखा चारा और सान्द्र आहार मिलाकर दें.
- फीड ब्लॉक्स या साइलेज भी पशुओं को खिलाया जा सकता है.
- चारे पर डुबकी (dipping), स्प्रे और पाउडर का इस्तेमाल कर सकते हैं.
शेड में साफ-सफाई न हो क्या नुकसान होता है?
- शेड में गंदगी, नमी रहने से संक्रमण का खतरा बना रहता है.
- खासतौर पर बैक्टीरिया और कृमि (वार्म) का अटैक ज्यादा होता है.
- कृमि संक्रमध होने से पशुओं में वजन घटना, भूख न लगना, दस्त और खून की कमी प्रमुख लक्षण हैं.
- बरसात शुरू होने से पहले ही पशुओं को कृमिनाशक दवाईयां देना शुरू कर दें.
- मॉनसून में तापमान और नमी बढ़ने से रोगजनक सूक्ष्मजीव तेजी से बढ़ने लगते हैं.
- बरसात में ज्यादा नमी के चलते शेड में टिक (किलनी) और मक्खियों की संख्या बढ़ने लगती है.
- टिक खून चूसने के साथ ही बेग्रेसियोसिस बीमारियां फैलाते हैं.
- शरीर में एनीमिया, कमजोरी होने लगती है और पशु की मौत तक हो जाती है.
- मक्खी संक्रमण फैलाती हैं जिससे पशु के थनों में जलन होती और दूध उत्पादन कम हो जाता है.
- टिक और मक्खी से निपटने के लिए एकारिसाइड्स (tick repellents) का इस्तेमाल करें.
शेड में बायो सिक्योरिटी के लिए क्या करें?
- बॉयो सिक्योरिटी के तहत सबसे पहले एनीमल फार्म की बाड़बंदी करें.
- बाडबंदी करने से सड़क पर घूमने वाला जानवर फार्म में नहीं आता है.
- फार्म के अंदर और बाहर दवा का छिड़काव जरूर कराएं.
- कुछ दवाई फार्म पर रखें जिसका इस्तेमाल हाथ साफ करने के लिए हो.
- दवाई का इस्तेमाल करने के बाद ही पशु को हाथ लगाएं.
- पशु को हाथ लगाने के बाद एक बार फिर से हाथों पर दवाई लगाएं.
- हर बार हाथों पर दवाई लगाने पशु की बीमारी आपको नहीं लगेगी.
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