Save Camel: रेगिस्तान के जहाजों की बढ़ानी है संख्या तो करने होंगे ये खास काम, पढ़ें डिटेल 

Save Camel: रेगिस्तान के जहाजों की बढ़ानी है संख्या तो करने होंगे ये खास काम, पढ़ें डिटेल 

सबसे ज्यादा ऊंट राजस्थान में पाए जाते हैं. इसीलिए ऊंट को राजस्थान में राज्य पशु घोषि‍त किया गया था. लेकिन कई वजहों के चलते अब ऊंटों की संख्या न सिर्फ राजस्थान में बल्किा देश के दूसरे राज्यों में भी कम होने लगी है. लेकिन अच्छी खबर ये है कि ऊंटों की संख्या कैसे बढ़ाई जाए इस पर भी काम चल रहा है. 

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Save Camel: रेगिस्तान के जहाजों की बढ़ानी है संख्या तो करने होंगे ये खास काम, पढ़ें डिटेल 

जानकारों का कहना है कि ऊंट राजस्थान के अलावा देश के कई और राज्यों में भी पाले जाते हैं. इसमे हरियाणा और मध्य प्रदेश भी शामिल हैं. हालांकि ऊंट की पहचान रेगिस्तान के जहाज के तौर पर होती है. लेकिन बड़ी परेशानी ये है कि ऊंटों की संख्या कम होती जा रही है. ऐसा भी नहीं है कि अकेले राजस्थान में ही ऊंटों की संख्या घट रही है. देशभर में जहां भी ऊंट हैं वहां उनकी संख्या कम हो रही है. हालांकि दूसरे राज्यों के मुकाबले आज भी राजस्थान में ऊंटों की संख्या ज्यादा है. हाल ही में राजस्थान सरकार ने ऊंटों की कम होती संख्या पर परेशानी जाहिर की थी. 

साथ ही राजस्थान में बचे ऊंटों की संख्या भी बताई थी. राज्य सरकार के मुताबिक साल 1983 में राजस्थान में ही ऊंटों की संख्या 7.56 लाख थी. लेकिन 2019 में हुई पशुगणना के आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान में अब सिर्फ 2.13 लाख ही ऊंट रह गए हैं. वहीं देशभर की बात करें तो ऊंटों की संख्या में 37 फीसद की कमी आई है. 

ये 8 काम किए तो बच जाएंगे कम होते ऊंट 

मरू प्रदेश के गौरव राज्य पशु ऊंटों की संख्या बढ़ाने के लिए राज्य में ऊष्ट्र संरक्षण एवं विकास मिशन के तहत ऊंटों के प्रजनन को प्रोत्साहित किया जा रहा है. इसके लिए पशुपालन निदेशालय में अलग से एक मिशन का गठन किया गया है. इस मिशन के तहत ही और दूसरे काम भी किए जा रहे हैं. उनमे शामिल कार्यों में-

  • ऊंटों के रोग निदान और उपचार शिविरों का आयोजन करना.  
  • ऊंट बाहुल्य क्षेत्रों में ऊष्ट्र वंशीय पशु प्रतियोगिताओं का आयोजन. 
  • ऊंटों के उत्पादों का विपणन कर ऊष्ट्र पालकों की आर्थिक स्थिति सुधारना.
  • ऊंटों को पर्यटन के साथ जोड़कर पर्यटकों को लुभाना. 
  • ऊंटों के लिए अभ्यारण्य और पुनर्वास केंद्र बनवाना. 
  • ऊष्ट्र संरक्षण योजना के तहत ब्रीडिंग पॉलिसी के बढ़ावा देना. 
  • ऊंटों के संरक्षण और नवजात टोडियों के पालन-पोषण के लिए सहायता देना.
  • ऊंट पालकों को दी जाने वाली सहायता राशि‍ 10 से 20 हजार की गई.

इस काम के बंद होने से घट गए ऊंट 

जानकारों की मानें तो कुछ वक्त पहले तक खासतौर पर पश्चिमी राजस्थान के इलाकों में ऊंटों का बहुत महत्व था. वहां कृषि‍ और ट्रांसपोर्ट के लिए ऊंट का बहुत इस्तेमाल होता था. खेती से जुड़ा हर छोटा-बड़ा काम ऊंट की मदद से किया जाता था. इसी तरह से माल ढुलाई हो या फिर सवारी के रूप में लोगों को एक जगह से दूसरी जगह जाना हो, उसके लिए भी ऊंट गाड़ी या फिर सीधे ही ऊंट पर बैठकर सफर किया जाता था. लेकिन अब दोनों ही क्षेत्रों में हुई हाईटेक तरक्की के चलते ऊंटों का इस्तेमाल कम हो गया है. 

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