Green Fodder Moringa सिर्फ हरा ही नहीं सूख चारे और दाने की कमी का सामना भी पशुपालकों को करना पड़ रहा है. ऐसा भी नहीं है कि चारे की कमी किसी खास मौसम में ही रहती हो. अब तो साल के 12 महीने चारे और दाने की किल्लत होती है. हालांकि इस कमी को दूर करने के लिए साइलेज तकनीक है, लेकिन बहुत सारे पशुपालक अभी भी इस तकनीक पर काम नहीं कर रहे हैं. लेकिन ऐसे पशुपालक परेशान न हों, बिना साइलेज के भी वो अपने पशुओं को हरा चारा खिला सकते हैं. खासतौर पर मोरिंगा. प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होने के चलते इसे भेड़-बकरियों के लिए बहुत पसंद किया जाता है.
फोडर एक्सपर्ट के मुताबिक अगर अभी मोरिंगा लगाया तो पशुपालकों को सर्दी और गर्मियों के दौरान मोरिंगा की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा. बेशक मोरिंगा का एक पेड़ होता है. लेकिन कुछ जरूरी बातें ध्यान रखी जाएं तो इसकी पत्तियों के साथ ही इसके तने को भी चारे के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. तने को पैलेट्स में तब्दील कर 12 महीने इसे बकरे और बकरियों को खिलाया जा सकता है.
फोडर एक्सपर्ट के मुताबिक मोरिंगा लगाने के लिए गर्मी और बरसात का मौसम सही होता है. जैसे बारिश का मौसम चल रहा है. लेकिन ख्याल यह रखना है कि इसे पेड़ नहीं बनने देना है. इसके लिए यह जरूरी है कि 30 से 45 सेंटी मीटर की दूरी पर इसकी बुवाई की जाए. इसकी पहली कटाई 90 दिन यानि तीन महीने के बाद करनी है. तीन महीने के वक्त में यह आठ से नौ फीट की हाईट पर आ जाता है. तो इस तरह से पहली कटाई 90 दिन में करने के बाद बाकी की कटाई हर 60 दिन बाद करनी है. काटते वक्त यह खास ख्याल रखना है कि इसकी कटाई जमीन से एक से डेढ़ फीट की ऊंचाई से करनी है. इससे होता यह है कि नई शाखाएं आने में आसानी रहती है.
एक्सपर्ट का कहना है कि मोरिंगा के तने को भी बकरी खाती है. क्योंकि इसका तना बहुत ही मुलायम होता है. इसकी पत्तियों को भी बकरे और बकरी बड़े ही चाव से खाते हैं. अगर आप चाहें तो पहले बकरियों को पत्तियां खिला सकते हैं. इसके तने को अलग रखकर उसके पैलेट्स बना सकते हैं. पैलेट्स बनाने का एक अलग तरीका है. ऐसा करके आप बकरे और बकरियों के लिए पूरे साल के चारे का इंतजाम कर सकते हैं.
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