गाय-भैंस हो या भेड़-बकरी, सभी पशुओं के लिए चारे की परेशानी बढ़ती जा रही है. क्योंकि दूध उत्पादन हो या फिर मीट के लिए पशुओं की ग्रोथ को बढ़ाना, उन्हें हरे चारे की जरूरत पड़ती ही है. लेकिन खासतौर पर गर्मियों के दौरान हरे चारे की परेशानी बड़ी हो जाती है. डेयरी एक्सपर्ट की मानें तो दूध के दाम बढ़ने के पीछे की बड़ी वजह भी चारे की कमी ही है. लेकिन फोडर एक्सपर्ट का कहना है कि अगर अभी थोड़ा सा सचेत हो जाएं तो गर्मियों में हरे चारे की कमी से बचा जा सकता है. मार्च महीने में अगर चारे की चार फसल की बुवाई कर दी जाए तो फिर पशुओं को गर्मी में ताजा हरा चारा मिल जाएगा.
वहीं बरसात के दिनों में पशुओं को साइलेज बनाकर भी खिला सकते हैं. ये चारों ही खास तरह के बेहद पौष्टिक चारे हैं. वहीं इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट और अमूल के पूर्व एमडी आरएस सोढ़ी का कहना है कि पौष्टिकता से भरपूर और सस्ता चारा दूध की कीमतें कम करने में मददगार होता है. दूध की लागत दूध का उत्पादन बढ़ाकर ही कम की जा सकती है और उत्पादन बढ़ता है चारे से.
फोडर एक्सपर्ट का कहना है कि खासतौर पर गर्मियों में हरे चारे की बेहद कमी हो जाती है. इसलिए मई-जून में पशुओं के लिए हरे चारे की कोई कमी ना रहे इसके लिए मार्च में ही चारे की बुवाई शुरू कर दें. खासतौर पर ज्वार, बाजरा, लोबिया और मक्का की बुवाई कर अच्छा पौष्टिक चारा लिया जा सकता है. मार्च में बुवाई करने से मई में फसल काटी जा सकती है. इतना ही नहीं किसान चारे की फसल के बीज बेचकर भी अपनी इनकम बढ़ा सकते हैं. अगर बरसीम, जई और रिजका की फसल से बीज उत्पादन किया जाए तो अच्छी इनकम होगी.
फोडर एक्सपर्ट की मानें तो घर पर भी हरे चारे से हे और साइलेज बड़ी ही आसानी से बनाया जा सकता है. लेकिन जरूरत है बस थोड़ी सी जागरुकता की. जैसे पतले तने वाले चारे की फसल को पकने से पहले ही काट लें. उसके बाद तले के छोटे-छोटे टुकड़े कर लें. उन्हें तब तक सुखाएं जब तक उनमे 15 से 18 फीसद तक नमी ना रह जाए. हे और साइलेज के लिए हमेशा पतले तने वाली फसल का चुनाव करें. क्योंकि पतले तने वाली फसल जल्दी सूखेगी. कई बार ज्यादा लम्बे वक्त तक सुखाने के चलते भी चारे में फंगस की शिकायत आने लगती है. यानि चारे का तना टूटने लगे इसके बाद इन्हें अच्छी तरह से पैक करके इस तरह से रख दें कि चारे को बाहर की हवा न लगे.
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