Lumpy: गाय पाल रहे हैं तो मई-जून में रखें खास ख्याल, नहीं तो हो जाएगी ये जानलेवा बीमारी

Lumpy: गाय पाल रहे हैं तो मई-जून में रखें खास ख्याल, नहीं तो हो जाएगी ये जानलेवा बीमारी

निवेदी संस्थान ने देश के कई राज्यों में लंपी के फैलने की चेतावनी दी है. लेकिन बिहार एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी (बासु), पटना, बिहार के वाइस चांसलर डॉ. इन्द्रजीत सिंह का कहना है कि वैक्सीन के साथ ही बॉयो सिक्योरिटी अपनाकर इस बीमारी से आसानी से लड़ा जा सकता है.

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Lumpy: गाय पाल रहे हैं तो मई-जून में रखें खास ख्याल, नहीं तो हो जाएगी ये जानलेवा बीमारी(प्रतीकात्मक तस्वीर)

देश में लंपी बीमारी को आए कोई बहुत ज्यादा वक्त नहीं हुआ है. कम वक्त में ही लंपी ने कई राज्यों में असर दिखाया है. गायों के बीमार होने और उनकी मौत होने से पशुपालकों समेत सरकारों को भी खासा नुकसान उठाना पड़ा है. मतलब कम वक्त में भी इस बीमारी ने बड़ा नुकसान किया है. एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो ये बीमारी खासतौर पर से कमजोर गायों पर ज्यादा असर करती है. इस बीमारी की सबसे बड़ी वजह मच्छर और मक्खी हैं. वहीं गर्मियों में हरे चारे की कमी हो जाती है. और छुट्टा घूमने वाली गायों को भी जरूरत के मुताबिक खुराक नहीं मिल पाती है. 

इसलिए लंपी बीमारी तेज से फैलने लगती है. जबकि एक्सपर्ट की मानें तो अभी इस बीमारी का इलाज कहें या रोकथाम सिर्फ वैक्सीन ही है. बेशक अभी लंपी का कोई कारगर इलाज नहीं है. लेकिन कुछ खास बचाव से इसे फैलने से रोका जा सकता है. जैसे क्लाइमेट चेंज को देखते हुए आज साइंटीफिक तरीके से पशुपालन किया जाए. बॉयो सिक्योरिटी का पालन करने के साथ ही पशुओं को समय-समय पर जरूरत के मुताबिक वैक्सीन भी जरूर लगवाएं.

छुट्टा गाय जल्द  होती हैं लंपी का शिकार 

डॉ. इन्द्रंजीत सिंह ने किसान तक को बताया कि सड़क पर घूमने वालीं और कुछ गौशालाओं में गायों को खाने के लिए पौष्टिक चारा नहीं मिल पाता है. जिसके चलते ऐसी गायों की इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है. यही वजह है कि लंपी बीमारी का सबसे ज्यादा अटैक इसी तरह की गायों पर देखा गया है. लंपी की वजह से मौत भी ऐसी ही गायों की हुई. ऐसा नहीं है कि जहां गायों को बहुत अच्छा चारा मिल रहा है वहां गायों की मौत लंपी की वजह से नहीं हुई है, हुई है लेकिन उसकी संख्या  बहुत कम है. दूसरा यह कि सड़क पर घूमने वाली गाय बहुत जल्दी उन मक्खी-मच्छर की चपेट में आ गईं जो लंपी बीमारी के कारण थे. जबकि गौशालाओं और डेयरी फार्म पर बहुत हद तक साफ-सफाई होने के चलते मच्छर-मक्खी का उतना अटैक वहां नहीं हुआ.

बॉयो सिक्योरिटी है लंपी से बचाव का उपाय 

डॉ. इन्द्रजीत सिंह का कहना है कि हम आज तक पशुपालन को अपने पुराने तौर-तरीके अपनाकर करते चले आ रहे हैं. जबकि क्लाइमेट चेंज के चलते अब बहुत बड़ा बदलाव आ चुका है. सबसे पहले तो हमे करना यह होगा कि हम गाय-भैंस पालें या भेड़-बकरी समेत कोई भी दुधारू पशु, हमे उसे साइंटीफिक तरीके से पालना होगा. इसके लिए जरूरत है कि हम अपने पशुओं के फार्म पर बॉयो सिक्योसरिटी का पालन करें और आने वाले से भी कराएं.

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