Cow Disease: गाय में दिखाई दें ये 7 लक्षण तो तुरंत शुरू करा दें इलाज, नहीं तो हो सकती है मौत

Cow Disease: गाय में दिखाई दें ये 7 लक्षण तो तुरंत शुरू करा दें इलाज, नहीं तो हो सकती है मौत

 गायों में थिलेरियोसिस बीमारी किलनी के चलते होती है. एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो इस बीमारी के सात लक्षण होते हैं. अगर गाय में एक भी लक्षण दिखाई दे तो फौरन ही उसका इलाज शुरू कर दें. इस बीमारी की चपेट में आते ही गाय खाना-पीना कम कर देती है. साथ ही उसका दूध उत्पादन भी कम हो जाता है. 

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Cow Disease: गाय में दिखाई दें ये 7 लक्षण तो तुरंत शुरू करा दें इलाज, नहीं तो हो सकती है मौतपशुओं के लिए रबर मैट

अगर आपके पशु बाड़े में गाय हैं तो अलर्ट हो जाएं. गायों पर पैनी नजर रखना शुरू कर दें. खासतौर पर गाय के खानपान पर ध्यान दें कि वो ठीक से जरूरत के मुताबिक पूरा चारा खा रही है या नहीं. पास जाकर एक-दो दिन में एक बार उसके शरीर पर नजर जरूर डालें. क्योंकि जैसे-जैसे गर्मी तेज होगी और बरसात के मौसम के नजदीक आते ही नमी बढ़ने लगेगी तो ये गाय के लिए जानलेवा साबित हो सकता है. क्योंकि यही वो वक्त है जब गायों पर थिलेरियोसिस बीमारी अटैक करती है. 

ये इतनी खतरनाक बीमारी है कि अगर वक्त रहते ध्यान नहीं दिया और गाय को इलाज नहीं मिला तो 15 से 20 दिन में गाय की मौत भी हो सकती है. इस बीमारी के चलते गाय का दूध उत्पादन और उसकी ग्रोथ दोनों पर ही असर पड़ता है. लेकिन, अगर पशुपालक गाय में दिखने वाले सात लक्षणों पर नजर रखता है तो थिलेरियोसिस का इलाज वक्त रहते शुरू कर उस पर काबू पाया जा सकता है. 

सबसे ज्यादा गाय आती हैं थिलेरियोसिस की चपेट में

एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि थिलेरियोसिस बीमारी सबसे ज्यादा विदेशी और संकर नस्ल की गायों में होती है. ये बीमारी चिलेरिया एनुलेटा नाम के प्रोटोजोआ से होती है. ये एक खास किलनी हायलोमा एनुटोलिकम के काटने से होता है. जब कोई किलनी किसी पीडि़त पशु का खून चूसती है तो ये परजीवी किलनी के शरीर में आ जाते हैं और इनकी संख्या बढ़ने लगती है. और जब यही किलनी किसी हेल्दी पशु का खून चूसती है तो लार के माध्यम से यह परजीवी उस पशु के खून में चले जाते हैं और हेल्दी पशु भी थिलेरियोसिस की चपेट में आ जाता है. 

गाय थिलेरियोसिस की चपेट में है तो ये होंगे लक्षण 

  • पीडि़त पशु को तेज बुखार आता है और उसकी सतही लसिका ग्रंथियों में सूजन आ जाती है.
  • नाक से पानी बहता है, हॉर्ट बीट तेज हो जाती है और खून की कमी होने लगती है. 
  • पशु जब थिलेरियोसिस की चपेट में आता है तो उसे  कब्ज और दस्त हो जाते हैं. 
  • पशु को वक्त से इलाज न मिले तो 15 से 20 दिन में 70 फीसद पशुओं की मौत हो जाती है. 

थिलेरियोसिस का ऐसे करें इलाज 

  1. पशुचिकित्सक की सलाह से बूपारवाकेन का टीका लगवाना चाहिए.
  2. थिलेरियोसिस की रोकथाम के लिए "रक्षावैक टी" टीका लगवाएं. 
  3. "रक्षावैक टी" पशुओं की इम्यूनिटी को बढ़ाता है.
  4. किलनी की रोकथाम के लिए पशु बाड़े में कीटनाशक स्प्रे कराएं.
  5. किलनी का प्रसार रोकने के लिए पशु बाड़े में हर रोज साफ-सफाई का ध्यान रखें. 

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