Goat Care: बकरी अप्रैल में बच्चा दे तो ऐसे करें देखभाल, नहीं होगा बीमार 

Goat Care: बकरी अप्रैल में बच्चा दे तो ऐसे करें देखभाल, नहीं होगा बीमार 

देश में बकरी पालन मीट-दूध दोनों के लिए किया जाता है. लेकिन दोनों में ही मुनाफे के लिए ये जरूरी है कि बकरियों की संख्या बढ़ाने के लिए उनके बच्चे जिंदा रहें. वहीं मीट के लिए छह-छह महीने की उम्र वाले बच्चों के अच्छे दाम मिलना शुरू हो जाते हैं, लेकिन उनका जिंदा रहना जरूरी है. 

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Goat Care: बकरी अप्रैल में बच्चा दे तो ऐसे करें देखभाल, नहीं होगा बीमार सीआईआरजी में बकरी के बच्चों की मृत्यु दर को कंट्रोल करने के लिए लगातार काम चल रहा है. फोटो क्रेडिट-किसान तक

एनिमल एक्सपर्ट के मुताबिक अब प्लान करने के बाद बकरी को गाभि‍न कराया जाता है. इसका सबसे बड़ा फायदा ये है कि होने वाला बच्चा बीमारियों से बचा रहता है. ऐसे बच्चे मार्च-अप्रैल में पैदा होते हैं या फिर अक्टूबर-नवंबर में. इस तरह बकरी का बच्चा पहले तो मौसमी बीमारियों से बच जाता है. तेज गर्मी और कड़ाके की सर्दी का मौसम आने तक बच्चा बड़ा और बीमारियों से लड़ने लायक ताकत उसके शरीर में बन जाती है. लेकिन इसके लिए जरूरी ये है कि बच्चे के जन्म से पहले और जन्म के बाद कुछ बताए गए कुछ उपायों पर अमल किया जाए. नहीं तो बकरी पालन में बच्चों की मृत्यु दर बहुत ज्यादा होती है. 

एक महीने में ही बच्चों की मौत हो जाती है. बकरी पालक के लिए ये बड़ा नुकसान होता है. इसके चलते ही बहुत सारे लोग बकरी पालन में आना नहीं चाहते हैं. क्योंकि बकरी पालन का अर्थशास्त्र पूरी तरह से बकरी के बच्चों पर ही टिका होता है. बकरी बच्चा देगी तो उसके बाद दूध देना शुरू करेगी. बच्चा मेल हुआ तो मीट के लिए पाला जाएगा, अगर बकरी फीमेल हुआ तो दूध और ब्रीडिंग के लिए पाला जाएगा. अब जब बच्चा जिंदा नहीं रहेगा तो मुनाफा कैसे बढ़ेगा.   

बकरी के बच्चा देते ही ऐसे करें देखभाल

गोट एक्सपर्ट इकबाल का कहना है कि बकरी के बच्चों की मृत्यु् दर कम करने के लिए ये जरूरी है कि हम उसकी देखभाल के साथ ही उसके खानपान का भी ध्यान रखें. उम्र के साथ उसका वैक्सीनेशन भी कराएं. 
बच्चे के पैदा होते ही उसे मां का दूध पिलाएं.

  • बच्चे के वजन के हिसाब से ही उसे दूध पिलाएं. 
  • वजन एक किलो हो तो 100-125 ग्राम दूध पिलाएं. 
  • बच्चे को दिनभर में तीन से चार बार में दूध पिलाएं. 
  • दूध पिलाने के लिए बकरी की जैर गिरने का इंतजार ना करें.
  • बच्चा 18 से 20 दिन का हो तो चारे की कोपल खि‍लाएं. 
  • बच्चा एक महीने का हो जाए तो पिसा हुआ दाना खि‍लाएं. 

जन्म के बाद बच्चे की देखभाल में इन बातों को करें शामिल 

अगर आप साइंटीफिक तरीके से बकरी पालन कर रहे हैं तो फिर बकरी अपने शेड में अक्टूबर-नवंबर में बच्चा देगी या फिर मार्च-अप्रैल में. ये मौसम का वो वक्त है जब ना तो ज्यादा गर्मी होती है और ना ही ज्यादा सर्दी. बावजूद इसके बकरी के बच्चे को उचित देखभाल की जरूरत होती है. 

  • बच्चे को मौसम से बचाने के लिए जरूरी उपाय पहले से ही कर लें. 
  • जमीन पर बिछावन के लिए पुआल का इस्तेमाल करें.
  • तीन महीने का होने पर बच्चे का टीकाकरण शुरू करा दें.
  • डॉक्टर की सलाह पर पेट के कीड़ों की दवाई दें.
  • जन्म से एक-डेढ़ महीने पहले बकरी की खुराक बढ़ा दें. 
  • बकरी को भरपूर मात्रा में हरा, सूखा चारा और दाना खाने को दें.

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