पिछले कुछ सालों से पशुपालन कमाई का अच्छा जरिया बन गया है. इसमें बढ़ते लाभ को देखते हुए सरकार की ओर से भी पशुपालकों के लिए कई सरकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं. वैसे तो पशुपालन के ढेरों विकल्प हैं लेकिन सबसे ज्यादा लोग दुधारू पशुओं को पालना पसंद करते हैं. दुधारू पशुओं को पालकर डेयरी फार्मिंग करने वाले अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं. डेयरी फार्मिंग करने वाले ज्यादातर लोग गिर और साहिवाल नस्ल की गाय पालते हैं लेकिन इन नस्लों की गायों की कीमत अधिक होने की वजह से ज्यादातर लोग इन्हें नहीं पाल पाते हैं. आज आपको गायों की दो अन्य नस्लों के बारे में बताते हैं जो पशुपालकों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती हैं.
हमारे देश के लोगों का गायों से भावनात्मक लगाव रहा है, लोग माता मानते हैं. आप भी देसी नस्ल की गाय पालकर अच्छी खासी कमाई करना चाहते हैं और आपका बजट उतना नहीं है कि गिर और साहिवाल नस्ल की गाय पाल सकें तो राठी और थारपारकर नस्ल की गाय पाल सकते हैं. ये गायें भी लंबी-चौड़ी होती हैं और लगभग हर मामले में साहिवाल-गिर को टक्कर देती हैं. आइए राठी और थारपारकर नस्ल के गायों की खासियत जान लेते हैं.
राठी गाय का वजन लगभग 300 किलो होता है. त्वचा में भूरा, सफेद या काला व सफेद रंगों का मिश्रण होता है. राठी गाय आमतौर पर राजस्थान में पाई जाती है. ये गाय दूध देने के मामले में भी पीछे नहीं है. राठी गाय रोजाना 8-12 लीटर तक दूध दे सकती है. इसकी कीमत 20 हजार से लेकर 60 हजार रुपये तक बताई गई है.
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सबसे ज्यादा दूध देने वाली गायों की नस्ल की बात आए तो थारपारकर नस्ल उसमें जरूर शामिल होगी लेकिन इसे अभी उतनी लोकप्रियता नहीं मिली है. थारपारकर नस्ल की गाय रोजाना 15 लीटर तक दूध दे सकती है. इसका रंग सफेद और धूसर होता है. इस गाय की औसत कीमत 40 हजार रुपये के आसपास बताई गई है.
अगर आपने गाय पालने का मन बना लिया है तो अच्छी नस्ल के बाद ये जानना भी जरूरी है कि इनको पालने से पहले किन बातों का ध्यान रखें. इन्हें पालने के लिए हवा और रोशनी वाले बाड़े के अलावा साफ-सफाई के लिए लेबर की भी जरूरत होती है. ऐसा व्यक्ति रखें जो मल-मूत्र होते ही तुरंत सफाई कर ले, गंदगी से संक्रमण का खतरा रहता है. पशुओं के बाड़े में हर वक्त साफ और ताजे पानी की व्यवस्था जरूर होनी चाहिए.
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