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Goat Farming: बकरियों के लिए बेहद खतरनाक हैं ये 4 रोग, जानें इनके लक्षण और बचाव के उपाय

Goat Farming: बकरियों के लिए बेहद खतरनाक हैं ये 4 रोग, जानें इनके लक्षण और बचाव के उपाय

आज के समय में बकरी पालन (Goat Farming) किसानों के लिए एक बेहतर रोजगार है. इसकी मदद से किसान न सिर्फ अपना जीवन चला रहे हैं बल्कि अपनी आय भी दोगुनी कर रहे हैं. बकरी पालन के जरिए किसान अपनी आर्थिक स्थिति को भी बेहतर बनाने का काम कर रहे हैं. ऐसे में बकरियों में होने वाली बीमारियों से पशुपालकों को भारी नुकसान होता है. तो आइए जानते हैं बकरियों में होने वाली प्रमुख बीमारियाँ और उनका उपचार.

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बकरियों में रोग और रोकथाम बकरियों में रोग और रोकथाम

बकरी पालन (Goat Farming) छोटे और सीमांत किसानों के लिए आजीविका का एक प्रमुख स्रोत है. बकरी पालन (Goat Farming) की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि बकरियों को अच्छा आहार मिले और उन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ न हों. हालांकि बकरियों को कई तरह की बीमारियां होती हैं. इसके लिए बकरी पालकों को इनका विशेष ख्याल रखना चाहिए. कई बार तो कई बीमारियों के कारण उनकी मौत भी हो जाती है. इससे उन्हें काफी नुकसान होता है.

बकरियों में होने वाली विभिन्न बीमारियों, उनके कारणों, लक्षणों, उपचार और रोकथाम के उपायों के बारे में पशुपालकों को जानकारी होना बहुत जरूरी है ताकि पशुपालक बकरियों को बीमारियों से होने वाले नुकसान से बचा सकें.

कब कौन सी बीमारी का रहता है खतरा

ऐसे में पशुचिकित्सकों की सलाह है कि इसे करने से पहले पशुपालन के बारे में जान लेना चाहिए. कब कौन सी बीमारी का खतरा है और उसका इलाज क्या है, इस बात से अवगत रहें. ऐसे में आपको ज्यादा परेशानी नहीं होगी और न ही नुकसान का बोझ उठाना पड़ेगा. आज इस कड़ी में हम बात करेंगे बकरियों में होने वाली बीमारी और उसके उपचार के बारे में.

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पी. पी. आर रोग

इस रोग में बकरियों को तेज बुखार, सर्दी, खांसी, आंखों व नाक से चिपचिपा स्राव, मसूड़ों, होठों व ऊपरी जबड़ों पर दानेदार दाने, जीभ में कालापन, पतले दस्त, गर्भपात की समस्या होती है.

क्या है इसका उपचार

जब बीमारी फैलती है तो उपचार 100% प्रभावी नहीं होता है. बीमारी होने से 4 महीने पहले से पीपीआर टीकाकरण करवाना चाहिए, जिसकी प्रतिरक्षा अवधि 3 वर्ष है.

इन्टेरोटॉनिक्सीमिया (ई.टी.) रोग

इस रोग में बकरियों के मुंह से झागदार लार गिरने लगती है, हरे दस्त, लड़खड़ाहट, सांस लेने में कठिनाई, पेट में दर्द, भ्रम, 12-24 घंटे के भीतर पशु की मृत्यु हो जाती है.

क्या है इसका उपचार

इस बीमारी का इलाज संभव नहीं है. 4 महीने में पहला टीकाकरण, फिर 2 हफ्ते बाद बूस्टर और फिर हर साल बूस्टर.

मुंहपका खुरपका (एफ.एम.डी.) रोग

इस बीमारी में तेज बुखार, लार गिरना, मुंह में घाव बनना, खाने-पीने में कमी होने जैसी समस्या दिखाई देती है.

क्या है इसका उपचार

इलाज के लिए नजदीकी पशु चिकित्सालय से संपर्क करें. बचाव का विशेष ध्यान रखें. इस रोग का अभी तक कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है.

बकरी माता रोग

इस रोग में शरीर पर दानेदार फुंसियां या मां जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, विशेषकर शरीर, मुंह, थन पर, पूंछ के नीचे ठंड लगना, नाक से चिपचिपा पदार्थ निकलने लगता है.

क्या है इस रोग का उपचार

इलाज के लिए नजदीकी पशु चिकित्सालय से संपर्क करें. बचाव का विशेष ध्यान रखें. इस रोग के लिए वैक्सीन उपलब्ध नहीं है.