डेयरी खोलते वक्त किसी एक प्रोडक्ट के भरोसे ना रहें. जैसे अगर गाय पालने की सोच रहे हैं तो साथ में भैंस भी पालें. क्योंकि बाजार में गाय-भैंस दोनों के ही दूध को पसंद करने वाले ग्राहक मौजूद हैं. दोनों के ही दूध से बने प्रोडक्ट का बाजार भी अलग है. जहां एक ओर गाय के दूध से बने घी को ज्यादा पसंद किया जाता है तो वहीं भैंस का दूध पीने और मावा बनाने के लिए बहुत डिमांड में रहता है. डेयरी एक्सपर्ट का कहना है कि ऐसा करने के चलते आप हमेशा बाजार में बने रहते हैं.
होली-दिवाली में मावा की डिमांड खूब होती है. वहीं साल के 12 महीने घी की डिमांड रहती है. चाय और दूध पीने वालों के बीच साल के 365 दिन भैंस के दूध की डिमांड रहती है. वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो दूध पीना चाहते हैं, लेकिन कम फैट का. जबकि बहुत से लोग ज्यादा फैट वाला दूध ही पीना पसंद करते हैं. मध्यम वर्ग के हैल्थ को लेकर जागरूक भारतीय परिवार तरल दूध के रूप में कम फैट वाला दूध पीना ही पसंद करते हैं.
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डेयरी एक्सपर्ट निर्वेश शर्मा का कहना है कि भैंस के दूध में गाय के मुकाबले ज्यादा फैट होता है. भैंस के दूध में आठ फीसद तक फैट होता है. जबकि गाय के दूध में 3.5 से पांच फीसद तक ही फैट होता है. फैट की ये मात्रा ही दोनों के दूध के बाजार को अलग करती है. लेकिन बाजार का सर्वे बताता है कि गाय-भैंस के मिक्स दूध का बाजार ज्यादा बड़ा है. खास बात ये है कि डेयरी फार्म में क्रॉस ब्रीड, गाय और भैंस को एक शेड के नीचे अलग-अलग लाइन में बिना किसी परेशानी के रखा जा सकता है. इस तरह के पशुपालन से उस ग्राहक की जरूरत पूरी हो जाती है जो ना तो बहुत ज्यादा और ना ही बहुत कम फैट वाला पसंद करता है. इस तरह के ग्राहकों में होटल, सामान्य ग्राहक, अस्पताल आदि लोग हैं.
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