Puerperal Fever: गाय-भैंस बचानी हैं तो प्रसूति ज्वर से हो जाएं अलर्ट, घट जाता है दूध और हो जाती है मौत 

Puerperal Fever: गाय-भैंस बचानी हैं तो प्रसूति ज्वर से हो जाएं अलर्ट, घट जाता है दूध और हो जाती है मौत 

Puerperal Fever in Animal गाय-भैंस के बच्चा देने के बाद अलर्ट रहने की जरूरत होती है. जबकि बहुत सारे पशुपालक बच्चा होते ही गाय-भैंस की तरफ से बेफ्रिक हो जाते हैं. इसी लापरवाही के चलते ही प्रसुति ज्वर पशुपालक के लिए बड़ी परेशानी बन जाता है. इसे देखते हुए ही लाला लाजपत राय पशुचिकित्सा एवं पशुविज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास), हिसार, हरियाणा ने इस संबंध में एडवाइजरी जारी की है.

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Puerperal Fever: गाय-भैंस बचानी हैं तो प्रसूति ज्वर से हो जाएं अलर्ट, घट जाता है दूध और हो जाती है मौत गर्मी में कई बीमारियों की चपेट में आ सकती है गाय (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Puerperal Fever in Animal ज्यादातर पशुपालक गाय-भैंस से खासतौर पर जुलाई में बच्चा लेते हैं. कृत्रिम गर्भाधान की मदद से पशु का गर्भाधान तय किया जाता है. लेकिन पशुपालन में प्रसूति ज्वर यानि बच्चा देने के बाद होने वाला बुखार एक बड़ी परेशानी है. ज्यादातर पशुपालकों को इस परेशानी का सामना करना पड़ता है. एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो बच्चा देने के बाद होने वाले बुखार से पशुओं के शरीर में मैग्नीशियम की कमी हो जाती है. इसलिए कैल्शियम-मैग्निशियम बोरेग्लुकोनेट के मिश्रण की दवा इसमे बहुत फायदेमंद होती है. लेकिन दवाई डॉक्टर की सलाह के बाद ही देनी है. हालांकि करीब 75 फीसद पीडि़त पशु उपचार के दो घंटे में ही ठीक हो जाते हैं. 

लेकिन 25 फीसद मामलों में ये बुखार दोबारा भी हो जाता है. गाय-भैंस के बच्चा देने के दो से तीन दिन बाद ये बुखार होता है. कई बार ये 15 दिन बाद भी होने लगता है. ये ऐसे वक्त पर होता है जब गाय-भैंस बच्चा देने के फौरन बाद दूध देना शुरू करने वाली होती है. ऐसे में पशुपालक को उत्पादन का नुकसान तो उठाना ही पड़ता है, साथ में पशु की जान भी जोखि‍म में आ जाती है.  

ये हैं प्रसूति ज्वर के लक्षण

रोगी पशु अत्ति संवेदनशील और बैचेन दिखाई देता है।
पशु कमजोर हो जाता है और चलने में लड़खड़ाने लगता है।
पशु खाना-पीना और जुगाली करना बंद कर देता है।
मांसपेशियों में कमजोरी के कारण शरीर में कंपन होने लगती है. 
पशु बार-बार सिर हिलाने और रंभाने लगता है।

प्रसुति ज्वर होने पर ऐसे करें इलाज 

पशु में रोग के लक्षण दिखाई देते ही तुरंत रोगी पशु को कैल्शियम बोरेग्लुकोट दवा की 450 मिली लीटर की एक बोतल ब्लड की नस के रास्ते चढ़ा देनी चाहिए। यह दवा धीरे-धीरे 10-20 बूंदे प्रति मिनट की दर से लगभग 20 मिनट में चढ़ानी चाहिए। यदि पशु दवा की खुराक देने के 8-12 घंटे के भीतर उठ कर खुद खड़ा नहीं होता तो इसी दवा की एक और खुराक देनी चाहिए।

बच्चा देने के 15 दिन बाद भी पशुओं को ये बीमारी हो सकती है. 
75 फीसद रोगी पशु इलाज के दो घंटे में ठीक हो जाते हैं.
इलाज के 24 घंटे तक रोगी पशु का दूध नहीं निकालना चाहिए. 

पशुओं को ऐसे बचाएं प्रसुति ज्वर से 

इस रोग से बचाव के लिए पशु को बच्चा होने से पहले संतुलित आहार देना शुरू कर दें. संतुलित आहार के लिए दाना-मिश्रण, हरा चारा और सूखा चारा उचित अनुपात में दें। ध्यान रहे कि दाना मिश्रण में दो फीसद उच्च गुणवत्ता का खनिज लवण और एक फीसद साधारण नमक जरूर शामिल करें.

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