देश के ज्यादातर परिवार में मां-बाप बच्चों की फास्ट फूड की आदत से बहुत परेशान हैं. बच्चों की इस आदत के चलते कई बार तो मां-बाप उन्हें हॉस्पिटल तक ले जाने को मजबूर हो जाते हैं. इसके बाद भी बच्चे पास्ता, नूडल्स, मैकरोनी, बर्गर-पिज्जा और मौमोज खाना नहीं छोड़ते हैं. लेकिन जो बात आगे हम आपको बताने जा रहे हैं, शायद आप उस पर यकीन ना करें. अब शायद मां-बाप बच्चों की डिमांड से पहले ही उनके सामने इस तरह के फास्ट फूड परोस दें. क्योंकि मां-बाप खुद चाहेंगे कि उनके बच्चे ये फास्ट फूड खाएं.
लेकिन ये सब मुमकिन होगा गुरु अंगद देव वेटरनरी और एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी (Gadvasu), लुधियाना की एक रिसर्च से. यूनिवर्सिटी के लाइवस्टॉक डिपार्टमेंट ने एक रिसर्च की है. कुछ दिन पहले ही नागपुर पशु चिकित्सा महाविद्यालय, महाराष्ट्र और पशु एवं मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय नागपुर में इसके बारे में पोल्ट्री विषय पर हुए एक कार्यक्रम के दौरान बताया गया था. जहां रिसर्च से जुड़े साइंटिस्ट को अवार्ड से सम्मानित भी किया गया.
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गडवासु के साइंटिस्ट डॉ. राजेश वी. वाघ ने किसान तक को बताया कि हमने चिकन को पाउडर की शक्ल में बदलने का काम किया है. इस पाउडर में थोड़ी सी सूजी और एक खास तरह का खाने वाला तेल मिलाकर पास्ता और नूडल्स समेत तमाम तरह के आइटम बना सकते हैं. अच्छी बात ये है कि इस तरह के आइटम में खाने वालों को प्रोटीन की अच्छी खासी मात्रा मिलेगी. जबकि सूजी-मैदा से बने पास्ता-नूडल्स हो या फिर दूसरे आइटम उसमे प्रोटीन की इतनी मात्रा नहीं मिलेगी. ये जल्दी खराब भी नहीं होता है. दूसरा ये कि चिकन पाउडर से कोई भी आइटम बनाने में किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं आती है.
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डॉ. राजेश वी. वाघ ने बताया कि चिकन से पाउडर बनाने की हमारी रिसर्च पूरी हो चुकी है. अब इसे पेटेंट कराने और इसकी तकनीक को कमर्शियल रूप से बाजार में किसी भी कंपनी को देने की तैयारी चल रही है. जल्द ही इस बारे में सभी काम पूरे कर लिए जाएंगे. जिसके बाद आम ग्राहकों को बच्चों के लिए बाजार में चिकन पाउडर मिल सकेगा.
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