भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां 75 फीसदी से अधिक आबादी की आजीविका कृषि पर ही निर्भर है. ये आबादी गावों में रहती है और खेती-किसानी के साथ-साथ पशुपालन भी करती है. इनमें से बड़े जोत वाले किसान गाय और भैंस का पालन करते हैं, लेकिन सीमांत और छोटे किसानों के लिए बकरी पालन कमाई का अच्छा जरिया है. लेकिन कई बार छोटे किसानों को बकरी पालन में आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है, क्योंकि उन्हें बकरी की नस्लों की जानकारी नहीं होती है. ऐसे में वे अपने राज्य के मौसम और जलवायु के अनुसार बकरियों की उचित नस्ल का चयन नहीं कर पाते हैं. ऐसे में अनुकूल मौसम नहीं होने के चलते उनका उतनी तेजी से विकास नहीं होता है. साथ ही बीमार पड़ने की वजह से मौतें भी अधिक होती हैं. लेकिन आज हम बकरी की ऐसी नस्लों के बारे में बात करेंगे, जिसका पालन कर किसान अच्छी कमाई कर सकेंगे.
बरबरी नस्ल: इस नस्ल के बकरों की मार्केट में काफी ज्यादा डिमांड रहती है. बकरीद पर कुर्बानी के लिए इस नस्ल के बकरे की ज्यादा खरीदारी की जाती है, क्योंकि इसका वजन 25 से 30 किलो के बीच होता है. खास बात यह है कि कम वजन होने के चलते इसकी कीमत भी कम होती है. ऐसे में आर्थिक रूप से कमजोर लोग भी इसको खरीदते हैं. ऐसे बरबरी नस्ल का बकरा उत्तर प्रदेश की जलवायु के अनुकूल है. अगरा, अलीगढ़ और एटा जिले में किसान बड़े स्तर पर इस नस्ल के बकरे का पालन करते हैं.
ये भी पढ़ें- ये अकेली दवा आलू, धान, मूंगफली और मिर्च के रोगों का करती है अंत, कई तरह से कर सकते हैं इस्तेमाल
बीटल बकरी: पंजाब की जलवायु बीटल नस्ल की बकरी के विकास के लिए अच्छी मानी गई है. यह नस्ल अपने वजन के लिए जानी जाती है. एक व्यस्क बकरे के वजन 50 से 60 किलो तक होता है. वहीं, मादा बकरियों का वजन 45 किलोग्राम तक होता है. बीटल बकरी के पैर लंबे होते हैं, जबकि इसकी पूंछ छोटी और पतली होती है. इसके सींघ घुमावदार होते हैं. खास बात यह है कि इस नस्ल के बकरे का पालन मांस की बिक्री के लिए किया जाता है. पंजाब के फिरोजपुर, गुरुदासपुर और अमृतसर के आसपास इलाकों में इन नस्ल के बकरे बड़े पैमाने पर पाले जाते हैं.
गोहिलवाड़ी नस्ल: अगर आप दूध और मांस के लिए बकरी का पालन शुरू करना चाहते हैं, तो आपके लिए गोहिलवाड़ी नस्ल की बकरी बेहतर होगी. यह दूध और मांस दोनों के लिए जानी जाती है. इस नस्ल के बकरे का वजन 45 से 50 किलो के करीब होता है. इस नस्ल की बकरी गुजरात के मौसम के लिए ज्यादा अनुकूल है. यही वजह है कि अमरेली, जूनागढ़ और भावनगर जिले में किसान इस नस्ल की बकरी का सबसे अधिक पालन करते हैं.
जखराना नस्ल: जखराना नस्ल के बकरे राजस्थान में सबसे अधिक पाले जाते हैं. यह अपनी कीमत के लिए जाने जाते हैं. एक बकरे की कीमत एक लाख रुपये से भी अधिक होती है. इसका वजन 60 किलो के करीब होता है. इस नस्ल के बकरे के मुंह पर सफेद धब्बे होते हैं. वहीं, शरीर का रंग काला होता है.
ये भी पढ़ें- डेटा बोलता है: अंडे-चिकन के लिए आफत बनी मक्का, ऐसे बिगड़ी पोल्ट्री बाजार की चाल
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today