Livestock: अक्टूबर में पशुओं को क्यों होती है ज्या‍दा देखभाल की जरूरत, जानें एक्सपर्ट राय 

Livestock: अक्टूबर में पशुओं को क्यों होती है ज्या‍दा देखभाल की जरूरत, जानें एक्सपर्ट राय 

पशुओं के टीकाकरण के अलावा केन्द्र और राज्यों की सरकार पशुपालकों की मदद के लिए कई तरह की योजनाएं चलाती हैं. पशु स्वस्थ केन्द्रों  पर सुविधा देने के साथ ही घर आकर पशु का इलाज करने की सुविधा भी दी जाती है. हैल्प लाइन पर सिर्फ एक कॉल करने पर ही डॉक्टर और पैरा वैट की टीम पहुंच जाती है. साथ ही एडवाइजरी भी जारी की जाती है जिससे घर पर ही कुछ जरूरी कदम उठाय जा सकें. 

Advertisement
Livestock: अक्टूबर में पशुओं को क्यों होती है ज्या‍दा देखभाल की जरूरत, जानें एक्सपर्ट राय गौशाला में घूमती गाएं. फोटो क्रेडिट-किसान तक

दूध देने और जुगाली करने वाले पशुओं के लिए अक्टूबर बहुत ही खास महीना होता है. यही वो मौसम है जब मौसम को देखते हुए प्ला‍न के हिसाब से पशुओं को गाभिन कराया जाता है. जिन्हें गर्मी की शुरुआत में गाभिन कराया गया होता है तो वो इस दौरान बच्चा देने वाले होते हैं. पशुओं की सबसे ज्यादा खरीद-फरोख्त भी अक्टूबर-नवंबर में ही होती है. यही वो महीना है जब मौसम बदलता है. मौसम बदलने के साथ ही कई तरह की बीमारियां भी आती हैं. कई बार तो मौसमी बीमारियां पशुओं के लिए जानलेवा भी साबित हो जाती हैं. 

पशुओं का दूध भी कम हो जाता. पशुपालक को इसका खामियाजा आर्थिक नुकसान के रूप में उठाना पड़ता है. लेकिन, अगर वक्त रहते कुछ ऐहतियाती कदम उठा लिए जाएं तो इस तरह की परेशानी और आर्थिक नुकसान से बचा जा सकता है. साथ ही हमारे पशु भी स्वस्थ रहेंगे. 

ये भी पढ़ें: Shrimp: मंदी में चल रहे झींगा को अमेरिका ने दिया झटका, 50 हजार करोड़ के कारोबार पर संकट

अक्टूबर में इन बातों का रखें खास ख्या‍ल-

अक्टूबर से सर्दी शुरू हो जाती है. इसलिए पशुओं को सर्दी से बचाने का इंतजाम कर लें. 

सर्दी के मौसम में ज्यादातर भैंस हीट में आती हैं. ऐसा होते ही पशु को गाभिन कराएं. 

भैंस को मुर्राह नस्ल के नर से या नजदीकी केन्द्र पर कृत्रिम गर्भाधान कराएं. 

भैंस बच्चा देने के 60-70 दिन बाद दोबारा हीट में ना आए तो फौरन ही जांच कराएं. 

गाय-भैंस को जल्दी हीट में लाने के लिए मिनरल मिक्चर जरूर खिलाएं. 

पशुओं को बाहरी कीड़ों से बचाने के लिए समय-समय पर दवाई का छिड़काव कराएं. 

दुधारू पशुओं को थैनेला रोग से बचाने के लिए डाक्टर की सलाह लें. 

पशुओं को पेट के कीड़ों से बचाने के लिए डॉक्टर की सलाह पर दवाई दें.

ज्यादा हरा चारा लेने के लिए बरसीम की बीएल 10, बीएल 22 और बीएल 42 की बिजाई अक्टू‍बर में कर दें. 

बरसीम का ज्यादा चारा लेने के लिए सरसों की चाइनीज कैबिज या जई मिलाकर बिजाई करें.

बरसीम के साथ राई मिलाकर बिजाई करने से चारे की पौष्टिकता और उपज दोनों ही बढ़ती हैं.

बरसीम की बिजाई नए खेत में कर रहे हैं तो पहले राइजोबियम कल्चर उपचारित जरूर कर लें.

जई का ज्यादा चारा लेने के लिए ओएस 6, ओएल 9 और कैन्ट की बिजाई अक्टूबर के बीच में कर दें. 

बछड़े को बैल बनाने के लिए छह महीने की उम्र पर उसे बधिया करा दें.

ये भी पढ़ें: Shrimp Export: झींगा किसानों के पास करो-मरो के लिए घरेलू बाजार ही है रास्ता-जानें एक्स‍पर्ट राय

NOHM के तहत होंगे यह सात बड़े काम 

नेशनल वन हैल्थ मिशन (एनओएचएम) के तहत सात बड़े काम किए जाएंगे. जिसमे पहले नंबर पर नेशनल और स्टेट लेवल पर महामारी की जांच को संयुक्त टीम बनेगी. महामारी फैलने पर संयुक्तं टीम रेस्पांस करेगी.

नेशनल लाइव स्टॉक मिशन की तरह से सभी पशुओं के रोग की निगरानी का सिस्टम तैयार किया जाएगा. 

मिशन के रेग्यूलेटरी सिस्टम को मजबूत बनाने पर काम होगा. जैसे नंदी ऑनलाइन पोर्टल और फील्ड परीक्षण दिशा निर्देश हैं. 

महामारी फैलने से पहले लोगों को उसके बारे में चेतावनी देने के लिए सिस्टम बनाने पर काम होगा. 

नेशनल डिजास्टर मैंनेजमेंट अथॉरिटी के साथ मिलकर जल्द से जल्द महामारी की गंभीरता को कम करना. 

प्राथमिक रोगों के टीके और उसका इलाज विकसित करने के लिए तय अनुसंधान कर उसे तैयार करना. 

रोग का पता लगाने के तय समय और संवेदनशीलता में सुधार के लिए जीनोमिक और पर्यावरण निगरानी फार्मूले तैयार करना जैसे काम होंगे.

 

POST A COMMENT