Goat-Sheep Disease in Monsoon एंटरोटॉक्सिमिया भेड़-बकरियों को होने वाली बड़ी बीमारियों में से एक है. एनिमल एक्सपर्ट के मुताबिक वैसे तो ये जानलेवा बीमारी कभी भी हो सकती है, लेकिन खासतौर पर बरसात के दिनों में भेड़-बकरियों को जल्दी अपनी चपेट में ले लेती है. इसे फड़किया बीमारी भी कहते हैं. ये बीमारी ज्यादा खाने के चलते होती है. पशुओं की बीमारी पर काम करने वाले निवेदी संस्थान ने हाल ही में एक अलर्ट जारी किया है. संस्थान के मुताबिक जुलाई-अगस्त में एंटरोटॉक्सिमिया नाम का बैक्टीरिया भेड़-बकरियों पर अटैक कर सकता है.
इसे देखते हुए संस्थान ने जुलाई और अगस्त के लिए देशभर में इसके अटैक का अलर्ट जारी किया है. हालांकि इंसान ही नहीं पशुओं को भी बरसात भीषण गर्मी से राहत दिलाती है. लेकिन बारिश जितनी राहत भरी होती है उतनी खतरनाक भी. इस दौरान तमाम तरह की छोटी-बड़ी संक्रमित पशुओं के बाड़े में फैलने लगती हैं. ऐसे ही भेड़-बकरियों के लिए भी एंटरोटॉक्सिमिया ऐसी ही एक बीमारी है.
फड़किया बीमारी की बात करें तो पहले भेड़-बकरी को दस्त होते हैं. फिर एक दम से दस्त बंद हो जाते हैं. लेकिन दो ही दिन बाद अचानक से भेड़-बकरी में जरूरत से ज्यादा कमजोरी आ जाती है. वो ठीक से चल भी नहीं पाती हैं. चलने की कोशिश करती हैं तो लड़खड़ा कर गिर जाती हैं. फिर से उसे एक-दो दस्त आते हैं. लेकिन इस बार दस्त के साथ थोड़ा सा खून भी आने लगता है. इसके बाद उस पशु की मौत हो जाती है. और यह सब होता है पशु की आंत में अचानक से पनप उठे एक बैक्टीरिया के कारण.
जब भेड़ों के झुंड बाहर खुले में चरने के लिए जा रहे हों तो बेहद जरूरी है कि हम पहले उसे सूखा चारा और मिनरल्स जरूर दें. सूखा चारा खूब खिलाने से हरे चारे में मौजूद नमी का स्तर सामान्य हो जाता है. एनीमल एक्सपर्ट की मानें तो पशु को सूखे चारे के तौर पर कई तरह का भूसा दिया जा सकता. वहीं मिनरल्स में खल, बिनौले, चने की चूनी आदि दी जा सकती है.
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