किसी भी डेयरी व्यवसाय की सफलता, जैसे कि दूध उत्पादन में वृद्धि, आय में इजाफा और समग्र लाभ, सीधे तौर पर इस बात पर निर्भर करता है कि आपने किस नस्ल के पशुओं का चयन किया है. इसलिए, यह जरूरी है कि आप देश के वातावरण में अधिक दूध उत्पादन वाली नस्लों का चयन करें. भारत की अधिकांश देशी गायें कम दूध देने वाली नस्लें हैं. इनसे दूध उत्पादन बढ़ाने की संभावनाएं बहुत कम होती हैं. इसलिए, व्यावसायिक नजरिये से केवल देशी नस्लों पर निर्भर रहना लाभकारी नहीं होता है.
जर्सी और होल्स्टीन फ्रिजियन जैसी 100 फीसदी विदेशी नस्लें दूध उत्पादन में श्रेष्ठ मानी जाती हैं, लेकिन भारत की गर्म जलवायु के लिए ये पूरी तरह अनुकूल नहीं होतीं. इनके रखरखाव पर अधिक खर्च आता है, जो छोटे और मझोले किसानों के लिए आसान नहीं होता.
छोटी डेयरी, जिसे अक्सर छोटे या सीमांत किसान कृषि के साथ एक अतिरिक्त आय स्रोत के रूप में चलाते हैं, के लिए ऐसी गायें उपयुक्त होती हैं जो कम लागत में अच्छा उत्पादन दें, स्थानीय जलवायु के अनुकूल हों और जिनके रखरखाव में आसानी हो क्योंकि विदेशी नस्ल जैसे होल्स्टीन फ्रिजियन (HF) का दूध उत्पादन तो अधिक होता है, लेकिन गर्मी की सहनशीलता कम होती है. यह नस्ल उत्तर भारत के अपेक्षाकृत ठंडे क्षेत्रों में व्यावसायिक डेयरी फार्मिंग के लिए बेहतर है.
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दूसरी ओर, जर्सी का गर्मी की सहनशीलता मध्यम होती है, मगर दूध उत्पादन अधिक होता है. यह नस्ल उत्तर भारत और दक्षिण भारत जैसे गर्म क्षेत्रों और उन छोटे/सीमांत किसानों के लिए बेहतर है जो कम लागत में डेयरी को कृषि के साथ एक सहायक व्यवसाय के रूप में अपनाना चाहते हैं.
सफल डेयरी चलाने के लिए देशी और विदेशी नस्लों के मिश्रण से उत्पन्न क्रॉसब्रीड पशु एक सर्वोत्तम विकल्प है. इनमें देशी पशुओं की जलवायु सहनशीलता और विदेशी नस्लों की उच्च दूध उत्पादन क्षमता का संयोजन होता है. पिछले कई दशकों के डेयरी अनुभव बताते हैं कि ऐसे क्रॉसब्रीड जिनमें 50 फीसदी से 62.5 फीसदी तक विदेशी नस्ल का योगदान होता है, वे सफल डेयरी के लिए सबसे बेहतर साबित हुए हैं.
इस तरह की गायों का पालन करने वाले डेयरी किसान कम लागत खर्च में अधिक उत्पादन लेते हैं. जो किसान वर्तमान में कम दूध उत्पादन वाली देशी नस्लों पर निर्भर हैं, वे कृत्रिम गर्भाधान (Artificial Insemination - AI) के माध्यम से अपनी गायों को उन्नत क्रॉसब्रीड में परिवर्तित कर सकते हैं. यह तरीका नए, महंगे विदेशी पशुओं को खरीदने की तुलना में प्रारंभिक पूंजी निवेश को काफी कम करता है और छोटे किसानों के लिए एक किफायती और आसान विकल्प प्रदान करता है.
छोटे और सीमांत किसान जिनकी आर्थिक स्थिति सीमित है और जो डेयरी को कृषि के साथ एक अतिरिक्त आय स्रोत के रूप में देखते हैं, उनके लिए जर्सी या जर्सी क्रॉसब्रीड, गिर गाय, साहिवाल और लाल सिंधी जैसी देशी नस्लें अच्छा विकल्प हैं. देशी गायों में गिर गाय औसतन 12 से 20 लीटर तक, साहिवाल 10 से 15 लीटर तक और लाल सिंधी 12 से 20 लीटर तक प्रतिदिन दूध देती हैं. इनकी बेहतर गर्मी सहनशीलता और कम चारा जरूरत इन्हें अधिक किफायती बनाती है.
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व्यावसायिक डेयरी किसान जो डेयरी व्यवसाय में बड़े पैमाने पर निवेश करने और उच्च उत्पादन प्राप्त करने का लक्ष्य रखते हैं, उनके लिए होल्स्टीन फ्रिजियन (HF) या HF क्रॉसब्रीड अधिक बेहतर हैं. और बड़ी डेयरी में भारतीय नस्ल गिर गायों का उचित प्रबंधन और पोषण किया जाए, तो यह अच्छी मात्रा में दूध उत्पादन कर सकती हैं और स्थानीय जलवायु के अनुकूल होने के कारण अधिक फायदेमंद है.
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