बकरीद पर कुर्बानी के लिए बकरा खरीदने के सबके अपने अलग-अलग मानक हैं. कोई हाईट वाला बकरा पसंद करता है तो कोई मोटा-ताजा. किसी को रंग-रूप के हिसाब से खूबसूरत बकरा चाहिए होता है. अगर वजनदार बकरे की बात करें तो बकरीद के दौरान 100 किलो और उससे ज्यादा वजन के बकरे भी बिकते हैं. लेकिन औसत वजनदार बकरों में 50 से 60 किलो तक के बकरों की ज्यादा डिमांड रहती है. हालांकि बकरे का वजन कुर्बानी की शर्तों में शामिल नहीं है, फिर भी कोशिश यही होती है कि कैसे भी एक अच्छा वजनदार बकरा मिल जाए. ज्यादातर खरीदार 35 से 40 और 50-60 किलो तक के बकरे की तलाश में रहते हैं.
गोट एक्सपर्ट की मानें तो 35 से 40 किलो वजन के बकरे तो लगभग सभी तरह की नस्ल में मिल जाते हैं. लेकिन 50 से 60 किलो वजन तक के बकरे कुछ खास नस्ल में ही देखने को मिलते हैं. बकरों की तीन-चार ऐसी नस्ल हैं जिनके बकरों की बकरीद के दौरान बहुत डिमांड रहती है. ज्यादा वजन के बकरे खरीदने के पीछे एक वजह ये भी है कि कुर्बानी का मीट बांटा जाता है. इसलिए इस बात का खास ख्याल रखा जाता है कि मीट ज्यादा से ज्यादा लोगों के बीच में बंट जाए.
गोट एक्सपीर्ट हाजी मोहम्मद इकबाल का कहना है कि गोहिलवाड़ी नस्ल के बकरे खासतौर पर गुजरात के राजकोट, जूनागढ़, पोरबंदर, अमरेली और भावनगर में पाए जाते हैं. देश में इनकी कम संख्या कम है, इसलिए इस नस्ल के बकरे और बकरियां बहुत ही मुश्किल से मिलते हैं. गोहिलवाड़ी नस्ल का बकरा 50 से 55 किलो वजन तक और बकरी 40 से 45 किलो तक की पाई जाती है. इनका रंग काला होता है और सींग मुड़े हुए मोटे होते हैं.
अलवर, राजस्थान के एक गांव है जखराना के नाम से बकरों की पूरी एक नस्ल है. इस नस्ल के बकरे-बकरियों को जखराना के नाम से जाना जाता है. इस नस्ल को खासतौर पर दूध और मीट के लिए ही पाला जाता है. देखने में जखराना के बकरे ही नहीं बकरियां भी ऊंची और लम्बी-चौड़ी नजर आती हैं. जखराना के बकरे 55 से लेकर 58 किलो वजन तक के तो पाए जाते ही हैं, लेकिन कभी-कभी 60 किलो और उससे ज्यादा वजन तक के भी मिल जाते हैं. बकरी का वजन 45 किलो तक होता है.
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