केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थासन (सीआईआरजी), मथुरा की कोशिशों से अब कम खर्च में मनपसंद बकरे-बकरियों का कुनबा और बड़ा हो जाएगा. ये कोई पहला मौका नहीं है जब सीआईआरजी ने कुछ खास किया हो. अभी कुछ वक्ता पहले ही देश में पहली बार लेप्रोस्कोपिक तकनीक का इस्तेमाल कर बकरी में आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन कराया है. जिसके बाद एक नर मेमने जन्म लिया. इस तकनीक से बकरियों की ब्रीड को भी बचाया जा सकेगा. इतना ही नहीं सिर्फ 25 रुपये में हीट पर आई बकरी गाभिन हो जाएगी, वो भी एक हेल्दी और मनपसंद बकरे से.
सीआईआरजी की इस कामयाबी के चलते कम सीमेन में ज्यादा से ज्याभदा बकरियों को कृत्रिम गर्भाधान कराया जा सकेगा. इसकी मदद से ही अब बकरी पालने वाले किसानों को उनकी पसंद और जरूरत के हिसाब से बकरी के बच्चे मिल रहे हैं. अगर किसान को ज्यादा दूध देने वाली बकरी चाहिए तो वो बकरी से उसी तरह के बच्चे पैदा करवा रहे हैं. अगर कोई किसान चाहता है कि उसका बकरा ज्यादा वजन का और तंदरुस्त हो तो उसे वैसा ही बच्चा मिल रहा है.
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बकरी में लेप्रोस्कोपिक आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन तकनीक का इस्तेमाल कर मेमने का जन्म कराने वाले वैज्ञानिक योगेश कुमार सोनी की मानें तो अभी तक दूसरी तकनीक का इस्तेरमाल कर किसी एक नर बकरे के 100 मिलियन सीमेन से एक ही मेमने का जन्मा कराया जा रहा था. लेकिन सीआईआरजी की नई तकनीक की मदद से 100 मिलियन सीमेन में 5 मेमने जन्मी ले सकेंगे. यानि की बकरे के एक बार के सीमेन से पांच बकरी गाभिन हो सकेंगी. यानि एक बकरी के लिए सिर्फ 20 मिलियन सीमेन काफी रहेगा. इस तकनीक से हम अच्छी नस्ल के बकरों के सीमेन का बेहतर और ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल कर सकेंगे.
सीआईआरजी की सीनियर साइंटिस्ट चेतना गंगवार का कहना है कि आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन से बकरियों को गर्भवती किया जा रहा है. इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा यह है कि बकरी को एक अच्छे नस्ली बकरे का सीमेन मिल जाता है. जिससे बकरी अच्छे और हेल्दी बच्चे को जन्म देती है. दूसरा ये कि इस तकनीक की मदद से पशुपालक का बकरे-बकरियों का झुंड नस्ल के आधार पर खराब होने से बच जाता है.
क्योंकि होता ये है कि पशुपालक जाने-अनजाने में बकरी को गाभिन कराने के लिए एक ऐसे बकरे के पास ले जाते हैं जिसके बारे में उन्हें यह भी पता नहीं होता कि बकरा उस नस्ल का है भी कि नहीं जिस नस्ल की उनकी बकरी है. बकरे की बीमारियां और उसकी फैमिली के बारे में भी कुछ पता नहीं होता है.
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चेतना गंगवार ने यह भी बताया कि आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन से बकरी को गर्भवती कराने के लिए संस्थान सीमेन की स्ट्रा बेचता है. एक स्ट्रा की कीमत 25 रुपये होती है. जबकि किसान जब बकरी को लेकर बकरे के पास जाता है तो उसे 150 से 200 रुपये देने होते हैं. स्ट्रा के साथ एक सुविधा यह भी है कि किसान को उस बकरे और उसकी मां के बारे में पूरी जानकारी मिलती है जिसके सीमेने का स्ट्रा है.
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