Animal Care: नया पशु खरीदने से पहले जरूर कराएं ये 3 टेस्ट, अप्रैल में ऐसे खिलाएं नई तूड़ी Animal Care: नया पशु खरीदने से पहले जरूर कराएं ये 3 टेस्ट, अप्रैल में ऐसे खिलाएं नई तूड़ी
एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो पशु उत्पादन की लागत उसके चारे या फिर पशु को होने वाली बीमारियां घटाती और बढ़ाती हैं. इसलिए जरूरी है कि पशुओं को बीमारी से बचाने के लिए उनके टेस्ट कराए जाएं, खासतौर पर तब जब नया पशु खरीदकर घर ला रहे हों.
Murrah Buffaloनासिर हुसैन - NEW DELHI,
- Mar 28, 2025,
- Updated Mar 28, 2025, 10:16 AM IST
पशु बीमार होगा तो उसका उत्पादन भी प्रभावित होगा. यही वो वजह होती है जब पशुपालक को दोहरा नुकसान उठाना पड़ता है. एक तो पशु की बीमारी पर खर्चा होता है और दूसरा बीमार होने पर पशु का दूध उत्पादन भी कम हो जाता है. पशु की ग्रोथ भी रुक जाती है. इसीलिए एनिमल एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि अगर आप नया पशु खरीदने जा रहे हैं तो नए पशु को घर लाने से पहले उसके तीन टेस्ट जरूर करा लें. ये तीन टेस्ट कराने के बाद पशुओं को कई तरह की बीमारियों से बचाया जा सकता है. साथ ही बीमारियों पर होने वाले खर्च को बचाकर दूध उत्पादन की लागत को कम किया जा सकता है.
ये तीन टेस्ट हैं टीबी रोग, जेडी रोग एवं ब्रूसेलोसिस या गर्भपात संक्रामण. एक्सपर्ट का ये भी कहना है कि पशुओं को होने वाली टीबी पशुपालकों को भी हो सकती है. टेस्ट के दौरान पशुओं की चमड़ी में टीका लगाकर टीबी का पता लगाया जाता है. जेडी बीमारी भी टीबी की तरह जीवाणु माइकोबैक्टेरियम से होती है. इस बीमारी में पशु लगातार दस्त करता है. इसका टेस्ट भी टीबी की तरह से ही होता है.
अप्रैल में नई तूड़ी खिलाने का ये है तरीका
- नई तूड़ी सीधे तौर पर खिलाने से पशु का पेट खराब हो सकता है.
- फसल कटाई के दौरान शुरुआत में पशुओं को नई तूड़ी कम ही खिलाएं.
- तूड़ी में लगी मिट्टी पशु न खाए, इसलिए तूड़ी छान और भिगो कर खिलाएं.
- पशु का पेट खराब न हो इसके लिए नई और पुरानी तूड़ी मिलाकर खिलाएं.
- पशुओं को दी जा रही तूड़ी में सेंधा नमक, हींग, हरड़, मोटी सौफ मिला लें.
- पशुओं को गर्मी से बचाने के लिए खुली जगह के बजाय शेड में बांधे.
- गर्मियों में पशुओं को ऐसी जगह रखें जहां उन्हें सीधी हवा और लू न लगे.
- गर्मियों में दूध उत्पादन कम न हो इसके लिए 24 घंटे साफ पानी पिलाते रहें.
- गर्मियों में हरे चारे की कमी हो तो अजोला से इसकी भरपाई की जा सकती है.
- छायादार जगह में 2.5 ×1.5 x 0.2 मीटर गहरा गड्डा बनाकर और एक पॉलीथीन शीट बिछा दें.
- अजोला के लिए तैयार किए गए गड्डे में 10 सेमी (आधा) पानी का स्तर बना रहे.
- अजोला के गड्डे में 15 किलो छानी हुई मिट्टी को पांच किलो गोबर के साथ फैला दें.
- पानी में मिट्टी-गोबर के साथ-साथ 500 ग्राम अजोला कल्चर भी डाल दें.
- अजोला का सात दिनों में 10 किलो तक उत्पादन हो सकता है.
- सात दिन बाद हर रोज 1.5 किलो तक अजोला निकाल सकते है.
- पशुओं को खिलाने से पहले अजोला को जरुर धो लें.
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