Dog Bite Case: काटने के लिए अब सिर्फ गली-सड़क के कुत्ते नहीं होंगे बदनाम, ऐसे रखा जाएगा रिकॉर्ड 

Dog Bite Case: काटने के लिए अब सिर्फ गली-सड़क के कुत्ते नहीं होंगे बदनाम, ऐसे रखा जाएगा रिकॉर्ड 

Dog Bite Case in Supreme Court मामला पूरे देश से जुड़ा है, लेकिन दिल्ली-एनसीआर के स्ट्रीट डॉग को लेकर एक मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है. ऐसे में एनिमल वैलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया का डीजी हैल्थ को लिखा गया एक पत्र सुर्खियों में है. 

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Dog Bite Case: काटने के लिए अब सिर्फ गली-सड़क के कुत्ते नहीं होंगे बदनाम, ऐसे रखा जाएगा रिकॉर्ड दिल्ली में लगातार बढ़े रहे कुत्तों से जुड़े मामले (File Photo: ITG)

Dog Bite Case in Supreme Court ऐसा नहीं है कि राह चलते बड़े बुजुर्ग, गली और पार्क में खेलते बच्चों को काटने के लिए सिर्फ गली-सड़क (स्ट्रीट डॉग) के कुत्ते ही जिम्मेदार हैं. ऐसा भी कतई नहीं है कि पेट डॉग कभी नहीं काटते हैं. वो तो एक निर्देश का पालन न होने के चलते काटने का सारा दोष स्ट्रीट डॉग पर मढ़ दिया जाता है. लेकिन अब बच्चों और बड़ों-बुजुर्गों को काटने के लिए गली-सड़क के कुत्ते बदनाम नहीं होंगे. अब कुत्तों के (डॉग बाइट) काटने के हर एक केस का रिकॉर्ड रखा जाएगा. 

एनिमल वैलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया (AWBI) ने इसके लिए डीजी हैल्थ को एक पत्र लिखा है. हालांकि ये कोई पहला मौका नहीं है जब बोर्ड की ओर से इस संबंध में कोई पत्र लिखा गया है. इससे पहले जून 2023 में भी एक पत्र इस मुद्दे को उठाते हुए लिखा गया था. बावजूद अभी भी डॉग बाइट के केस अलग-अलग दर्ज नहीं किए जा रहे हैं. 

अब कैसे रखा जाएगा डॉग बाइट केस का रिकॉर्ड

AWBI की ओर से एनिमल हसबेंडरी कमिश्नर अभि‍जीत मित्रा ने डायरेक्टर जनरल ऑफ हैल्थ सर्विस को पत्र लिखा है. पत्र में डीजी हैल्थ से मांग की गई है कि सभी मेडिकल इंस्टीट्यूशंस को ये निर्देश दिए जाएं कि वो डॉग बाइट के केस को अलग-अलग दर्ज करें. जैसे अगर किसी को स्ट्रीट डॉग ने काटा है तो वो अलग दर्ज किया जाए, वहीं अगर कोई पेट डॉग काटता है तो उसे अलग दर्ज किया जाएगा. ये पूरी तरह से अलग डाटा होगा. इसमे और भी कैटेगिरी रखी गई हैं. वो कैटेगिरी कौन-कौनसी हैं इसके लिए पुराने लैटर देखने की बात कही गई है. 

क्या स्ट्रीट डॉग के खाते में जा रहे हैं डॉग बाइट केस 

अभि‍जीत मित्रा ने किसान तक से बातचीत में बताया कि क्योंकि अभी डॉग बाइट केस का रिकॉर्ड अलग-अलग दर्ज नहीं किया जा रहा है तो सारे डॉग बाइट के केस स्ट्रीट डॉग के खाते में जा रहे हैं. जैसे 2018 से 2023 की शुरुआत के बीच दिल्ली में 1.27 लाख से ज्यादा कुत्तों के काटने के केस दर्ज किए गए थे. वहीं मुंबई में 2018-2022 के बीच 3.53 लाख मामले दर्ज किए गए थे. हालांकि कुछ मामले पालतू कुत्तों से जुड़े हैं, लेकिन इस तरह के केस में कैटेगिरी साफ नहीं होने के अभाव में सभी मामलों को स्ट्रीट डॉग द्वारा काटने के रूप में दर्ज किया जाता है.

डॉग बाइट केस का रिकॉर्ड रखने से क्या होगा फायदा 

अभि‍जीत मित्रा का कहना है कि अगर पेट और स्ट्रीट डॉग बाइट केस का रिकॉर्ड अलग-अलग होगा तो इसके कई फायदे होंगे. जैसे सबसे पहले तो ये मालूम चल सकेगा कि सबसे ज्यादा केस किस शहर या राज्य से आ रहे हैं. इससे देशभर के लिए टीकाकरण और जागरुकता कार्यक्रम चलाने में मदद मिलेगी. साथ ही सबसे बड़ा काम तो ये होगा कि जब आंकड़े सामने होंगे तो पेट और स्ट्रीट डॉग के बारे में सोच साफ और क्लीयर होगी. पेट डॉग के मालिकों की जिम्मेदारी और जवाबदेही को को और प्रभावी बनाया जाएगा. 

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