Ornamental Indigo Barb: समुद्र में कम हुई तो क्या हुआ, अब तालाब में बढ़ेगा ‘इंडिगो बार्ब’ का परिवार Ornamental Indigo Barb: समुद्र में कम हुई तो क्या हुआ, अब तालाब में बढ़ेगा ‘इंडिगो बार्ब’ का परिवार
Ornamental Indigo Barb Fish जैतून हरे और भूरे रंग के शरीर पर दो धारी वाली इंडिगो बार्ब को सजावटी मछली के रूप में जाना जाता है. इसकी डिमांड ना सिर्फ देश में बल्कि इंटरनेशन मार्केट में भी है. इसकी खूबसूरती और साइज के चलते हर कोई चाहता है कि उसके एक्वेरियम में इंडिगो बार्ब भी हो. लेकिन बाजार में इसकी डिमांड ज्यादा और सप्लाई कम है.
इंडिगो बार्ब को तालाब में रखकर प्रजनन कराया जाएगा.नासिर हुसैन - New Delhi,
- Aug 18, 2025,
- Updated Aug 18, 2025, 2:46 PM IST
Ornamental Indigo Barb Fish इंडिगो बार्ब मछली दिखने में बौनी लगती है. लेकिन ऐसा है नहीं. एक उंगली से भी छोटी इंडिगो बार्ब पूरी तरह से बड़ी होने के बाद ही उंगली से भी छोटी दिखती है. लेकिन समुद्र में इंडिगो बार्ब कम होती जा रही है. या ये कह लिजिए कि अब इंडिगो बार्ब जल्दी पकड़ में नहीं आती है और उसने अपनी जगह बदल ली है. लेकिन क्या हुआ जो समुद्र में इंडिगो बार्ब आसानी से नहीं मिल रही या उसकी संख्या कम हो गई है. अब इंडिगो बार्ब को तालाब में भी पाला जा रहा है. और ये सब मुमकिन हुआ है केरल फिशरीज यूनिवर्सिटी की मदद से.
इंडिगो बार्ब से जुड़ी और खास बात क्या हैं?
- इंडिगो बार्ब को (पेथिया सेटनाई) नाम से भी जाना जाता है.
- केरल यूनिवर्सिटी के सहायक प्रोफेसर अनवर अली ने इंडिगो बार्ब पर रिसर्च की है.
- रिसर्च के लिए इंडिगो बार्ब गोवा के समुद्र से लाई गई थी.
- इंडिगो बार्ब इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) की रेड लिस्ट में है.
- ये वो लिस्ट है जहां लुप्त हो रहीं मछलियों की डिटेल रखी जाती है.
किस राज्य में पाई जाती है इंडिगो बार्ब?
- भारतीय इंडिगो बार्ब कर्नाटक और गोवा के मीठे पानी में पाई जाती है.
- रिसर्च के तहत इंडिगो बार्ब को बनाए गए तालाब में रखा गया.
- एआई तकनीक की मदद से इंडिगो बार्ब का प्रजनन कराया गया.
- इस दौरान बार्ब को आउटडोर और इनडोर दोनों ही वातावरण के तालाबों में रखा गया.
- इंडिगो बार्ब पर यूनिवर्सिटी की ये रिसर्च पूरी तरह से कामयाब रही है.
- जल्द ही इस रिसर्च की तकनीक दूसरे लोगों को इंडिगो बार्ब की संख्या बढ़ाने के लिए दी जाएगी.
- अनवर अली का मानना है कि इस कामयाबी से गोवा-कर्नाटक ही नहीं दूसरे राज्यों को भी होगा.
- मछलियों की हैचरी चलाने वालों को इस तकनीक का बड़ा फायदा होगा और रोजगार बढ़ेगा.
समुद्र में कैसे कम हुई इंडिगो बार्ब मछली?
- डिमांड ज्यादा और सप्लाई कम होने की वजह से बाजार में इसकी कोई कीमत तय नहीं है.
- इंडिगो बार्ब का बीज (सीड) तीन डॉलर यानि 270 से 300 रुपये तक का आता है.
- नई तकनीक के चलते अब एक बार में एक मछली से 75 से 100 तक बच्चे लिए जा सकेंगे.
- फिशरीज एक्सपर्ट की मानें तो समुंद्र में इंडिगो बार्ब का अवैध शिकार बढ़ गया है.
- शहरीकरण, पर्यटन और कृषि प्रदूषण के चलते भी इसकी संख्या घटती चली गई.
- ऊपर बताए तीनों कारणों के चलते ही इंडिगो बार्ब ने अपना प्राकृतिक आवास छोड़ दिया है.
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