Goat Lamb Care: सितम्बर में बच्चे देंगी बकरियां, ऐसे नहीं की देखभाल तो हो सकता है निमोनिया 

Goat Lamb Care: सितम्बर में बच्चे देंगी बकरियां, ऐसे नहीं की देखभाल तो हो सकता है निमोनिया 

Goat Lamb Care in Winter गोट साइंटिस्ट का कहना है कि जब बकरियों के बच्चों में निमोनिया होता है तो उन्हें सांस लेने में दिक्कत होती है. बुखार आने लगता है. इतना ही नहीं उनकी नाक भी बहने लगती है. पशुपालक इन लक्षणों को अच्छी तरह से पहचानते हैं. इसलिए लक्षण दिखाई देने पर इलाज में देरी न करें. 

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Goat Lamb Care: सितम्बर में बच्चे देंगी बकरियां, ऐसे नहीं की देखभाल तो हो सकता है निमोनिया बकरी पालन

Goat Lamb Care in Winter बच्चों को मौसमी और संक्रमण वाली बीमारियों से बचाने के लिए बकरी पालक अब कैलेंडर के हिसाब से बकरियों को गाभि‍न कराने लगे हैं. अपने हिसाब से बच्चे पैदा करे लिए बकरियों को गाभि‍न भी अपने ही हिसाब से करा रहे हैं. यही वजह है कि जिन बकरियों को अप्रैल से जून के बीच में गाभि‍न कराया गया है वो अब सितम्बर से अक्टूबर के बीच में बच्चा देंगी. लेकिन ये वो वक्त होता है जब मौसम गर्मी से सर्दी में दाखि‍ल हो रहा होता है. ऐसे में जरूरी होता है कि बकरी के आने वाले बच्चे को बीमारियों से बचाया जाए. खासतौर पर बच्चे को निमोनिया न होने पाए. 

ऐसा माना जाता है कि इंसान हों या पशु सभी को ठंड के चलते ही निमोनिया होता है. लेकिन खासतौर पर पशुओं के मामले में तो निमोनिया कभी भी हो सकता है. इसलिए बड़ी बकरियों के मुकाबले उनके छोटे बच्चों की देखभाल करना बड़ा मुश्किंल होता है. क्योंकि निमोनिया बेशक दिखने में मामूली बीमारी हो लेकिन इसके चलते पशुओं की मौत तक हो जाती है. 

बकरी के बच्चों को कैसे होता है निमोनिया 

साइंटिस्ट का कहना है कि सितम्बर में जब मौसम बदलता है तो दिन में गर्मी और रात में ठंडक रहती है. ऐसे मौसम में खासतौर पर बकरी के बच्चे अपने को उस मौसम में नहीं ढाल पाते हैं. जिसके चलते वो निमोनिया की चपेट में आ जाते हैं. निमोनिया शुरू होते ही उन्हें बुखार आने लगता है, नाक बहती है और सांस लेने में परेशानी होती है. जैसे ही यह लक्षण दिखाई दें तो फौरन ही डॉक्टर के पास ले जाएं. जब तक डॉक्टर दवाई खिलाने की कहे तो बकरी के बच्चे को लगातार बिना गैप के उसे दवाई खिलाएं. 

बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए क्या करना चाहिए 

गोट साइंटिस्ट का कहना है कि ठंडा मौसम शुरू होते ही सबसे पहले तो बकरी पालक को बकरियों के आवास में बदलाव करना चाहिए. बकरियों के शेड को इस तरह से ढक दें कि उसमे ठंडी हवाएं आसानी से न आएं. दूसरा यह कि दोपहर के वक्त ही बकरियों और उनके बच्चों को चराने ले जाएं. सुबह और देर शाम तक बकरियों और उनके बच्चों को चराने न ले जाएं. ध्यान रहे कि मौसम के चलते पानी बहुत ज्यादा ठंडा न हो. उन्हें शेड में भरपूर चारा दें. कोशिश करें कि इस दौरान बकरियों और उनके बच्चों को पूरा न्यूट्रिशन मिले. इसके लिए चाहें तो पैलेट्स फीड भी खिला सकते हैं.  

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