बेशक मॉनसून के इस मौसम में हरे-लहलाते चारे को देखकर पशुपालक खुश होते हैं, लेकिन इसके साथ ही उनके अंदर एक डर भी हमेशा बना रहता है. और ये डर होता है पशुओं की बीमारी को लेकर. क्योंकि एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो बरसात के दौरान बहुत सारी ऐसी बीमारियां होती हैं जो पशुओं पर अटैक करती हैं. इसमे वायरल और बैक्टीरियल दोनों ही तरह की होती है. इसमे से गलघोंटू जैसी बीमारी तो सिर्फ बरसात के दिनों में ही होती है. इसके चलते पशुपालकों को खासा नुकसान उठाना पड़ता है.
यहां तक की पशुओं की मौत भी हो जाती है. लेकिन, अगर एक्सपर्ट की बताई टिप्स के मुताबिक बरसात में पशुपालन किया जाए तो आर्थिक नुकसान और पशुओं की जान को जोखिम में डालने से बचा जा सकता है. यहां तक की पशुओं को भरपूर मात्रा में हर चारा भी इस मौसम में खिलाया जा सकता है. और तो और बरसात में दूध की क्वालिटी भी सुधारी जा सकती है.
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डॉ. सज्जन सिंह, प्रिंसिपल साइंटिस्ट, केन्द्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान, हिसार, हरियाणा ने किसान तक को बताया कि बरसात के दौरान शेड की देखभाल बहुत जरूरी होती है. क्योंकि सबसे ज्यादा बीमारी शेड में ही पनपती है. अगर शेड की साफ-सफाई ठीक से कर ली तो समझ लिजिए की पशुओं की बीमारी पर बहुत हद तक कंट्रोल पा लिया.
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डॉ. सज्जन सिंह ने बताया कि बरसात के दिनों में हरा चारा खूब होता है. लेकिन नियम ये कहता है कि हम सिर्फ हरे चारे पर पशु को नहीं रख सकते हैं. हरे चारे के साथ-साथ सूखा चारा और मिनरल्स का होना भी जरूरी है.
बरसात में पशुओं को 60:40 के हिसाब से सूखा और हरा चारा खिलाएं.
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