Methane Gas: आप जानते हैं एक बकरी एक साल में कितनी मीथेन गैस छोड़ती है, पढ़ें डिटेल 

Methane Gas: आप जानते हैं एक बकरी एक साल में कितनी मीथेन गैस छोड़ती है, पढ़ें डिटेल 

जुगाली करने वाले पशुओं में मीथेन गैस को कंट्रोल और खत्म करने की तैयारी चल रही है. देश ही नहीं विदेशों में भी इसे कंट्रोल करने के लिए हर संभव कोशि‍श चल रही हैं. बकरियों के संबंध में इसे कंट्रोल करने के लिए केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा में भी लगातार रिसर्च चल रही है.

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Methane Gas: आप जानते हैं एक बकरी एक साल में कितनी मीथेन गैस छोड़ती है, पढ़ें डिटेल बकरी एक दिन में कितनी मीथेन छोड़ती है ये इस तरह से नापा जाता है.

एक्सपर्ट की मानें तो जुगाली करने वाले पशु जैसे गाय-भैंस और भेड़-बकरी भी मीथेन गैस छोड़ते हैं. मीथेन गैस छोड़ने के मामले में बकरी तीसरे नंबर पर है. ग्लोबल वार्मिंग के लिए मीथेन गैस को भी बड़े रूप में जिम्मेदार माना जाता है. इसी के चलते मीथेन को कंट्रोल करने के लिए केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा में लगातार रिसर्च चल रही है. अच्छी बात ये है कि एक खास तरह का चारा तैयार कर मीथेन को कम करने की कोशि‍श में काफी हद तक कामयाबी मिल भी चुकी है.  

साइंटिस्ट की मानें तो चारे के क्षेत्र में लगातार कामयाबी मिल रही है. इसी के चलते पैलेट फीड और फोडर तैयार किया गया है. बकरियों से निकलने वाली मीथेन को और कंट्रोल करने के लिए अभी और दूसरे क्षेत्रों में भी सीआईआरजी लगातार काम कर रहा है.

बकरियां एक साल में पांच किलो गैस छोड़ती हैं

सीआईआरजी के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. रविन्द्र कुमार की मानें तो मीथेन गैस छोड़ने के मामले में पहला और दूसरा नंबर भैंस और गाय का है. बकरी इस मामले में तीसरे नंबर पर है. बेशक बकरी गाय-भैंस के मुकाबले कम मीथेन गैस छोड़ती है, लेकिन गाय-भैंस के अनुपात में बकरियों की संख्या ज्यादा है. इसलिए बकरियों के संबंध में काम भी ज्यादा और तेजी के साथ हो रहा है. हम एक खास तरह के उपकरण की मदद से बकरी से निकलने वाली मीथेन गैस को जमा करते हैं. उसकी नापतौल करते हैं. इसके आधार पर ही बकरियों के लिए खास तरह का हरा चारा और पैलेट फीड तैयार किया जा रहा है. गौरतलब रहे पशु जनगणना 2019 के मुताबिक हमारे देश में बकरे-बकरियों की कुल संख्याब 14.90 करोड़ है. 

बकरियों के लिए तैयार किया जा रहा है खास हरा चारा

सीआईआरजी से जुड़े जानकारों की मानें तो बहुत सारी चीजों को ध्यान में रखते हुए बकरियों के लिए हरा चारा तैयार किया जा रहा है. सीआईआरजी में ट्रेनिंग के लिए आने वाले युवाओं को ऑर्गनिक और नेचुरल तरीके से चारा उगाने के बारे में भी बताया जाता है. ऑर्गनिक और नेचुरल तरीके से उगाए जा रहे चारे के लिए खाद कैसे तैयार करनी है ये जानकारी भी ट्रेनिंग लेने के लिए आने वाले युवाओं को दी जाती है. साथ ही हरे चारे का इस्तेामाल करते हुए साइलेज और पैलेट्स बनाने के बारे में भी बताया जाता है. 

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