साल 2021-22 में फैली लंपी बीमारी की वजह से लाखों पशुओं की मौत हुई थी. राजस्थान देश में सबसे प्रभावित राज्यों में से एक था. इस बीमारी से प्रभावित हुए पशुपालकों को 40 हजार रुपये प्रति दुधारू पशु मुआवजा देने की घोषणा की थी. राज्य सरकार ने पहले चरण में 41,933 पशुपालकों के खाते में 175 करोड़ 72 लाख रुपये ट्रांसफर भी कर दिए हैं. वहीं, दूसरे चरण में बचे हुए पशुपालकों को राशि देनी है.
पशुपालन विभाग का कहना है कि अगले 15 दिनों में यह काम पूरा हो जाएगा. इसके अलावा मुख्यमंत्री कामधेनू पशु बीमा योजना का काम भी तेजी से चल रहा है.
दरअसल, पशुपालन विभाग ने इस साल बजट में की गई घोषणाओं की प्रगति के बारे में एक समीक्षा मीटिंग रखी थी. इसमें मौजूद विभाग के अतिरिक्त निदेशक (उत्पादन) डॉ प्रकाश चंद्र भाटी ने कहा कि हम हर एक जिले में पशु आहार गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए प्रयोगशालाएं खोलने का काम कर रहे हैं.
अतिरिक्त निदेशक (मॉनिटरिंग) डॉ आनंद सेजरा ने बताया कि नए उप-स्वास्थ्य केंद्र एवं पशु चिकित्सालयों को क्रमोन्नत करने का काम पूरा किया जा चुका है. जन घोषणा पत्र के 11 कार्यों में से 8 काम पूरे हो चुके हैं, जबकि तीन का काम चल रहा है. साथ ही मीटिंग में बताया गया कि ऊंट संरक्षण एवं विकास नीति का प्रारूप मुख्यमंत्री स्तर से पास हो चुका है. अभी कैबिनेट अनुमोदन की प्रक्रिया चल रही है.
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मीटिंग में पशुपालन विभाग के सचिव सीताराम भाले भी मौजूद थे. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की विभागीय बजट घोषणाओं के क्रियान्वयन में आ रही समस्याओं का शीघ्र निपटारा किया जा रहा है. उन्होंने अधिकारियों को योजनाओं के माध्यम से पशुपालकों को लाभान्वित करने के निर्देश भी दिए.
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भाले ने विभागीय अधिकारियों से योजनावार प्रगति की विस्तार से जानकारी ली. उन्होंने कहा कि पशुपालकों की आवश्यकताओं का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए और सरकार को वहां जाना चाहिए जहां कोई नहीं पहुंचता. बैठक में भाले ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि जोधपुर के पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय के लिए निर्धारित अवधि तक भर्तियां और उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए. साथ ही मोबाइल वेटनरी सेवा का भी समय निर्धारित कर शुरू किया जाए.
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