Rajasthan Assembly Elections 2023 : सिर्फ गाय नहीं, भैंस का गोबर भी खरीदेगी कांग्रेस

Rajasthan Assembly Elections 2023 : सिर्फ गाय नहीं, भैंस का गोबर भी खरीदेगी कांग्रेस

राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस ने पशुपालकों से दो रुपये प्रति किलो की दर से गोबर खरीदने की गारंटी दी है. यह योजना कांग्रेस ने अपनी छत्तीसगढ़ सरकार की तर्ज पर शुरू करेगी. किसान तक ने कांग्रेसी सूत्रों से इस योजना के बारे में जानकारी ली है.

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Rajasthan Assembly Elections 2023 : सिर्फ गाय नहीं, भैंस का गोबर भी खरीदेगी कांग्रेस सिर्फ गाय नहीं, भैंस का गोबर भी खरीदेगी कांग्रेस जयपुर.

राजस्थान में कांग्रेस जनता को कई गारंटी दे रही है. शुक्रवार 27 अक्टूबर को कांग्रेस ने 5 नई गारंटी प्रदेश की जनता को दी. इनमें पशुपालकों को भी एक गारंटी दी गई है. राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस ने पशुपालकों से दो रुपये प्रति किलो की दर से गोबर खरीदने की गारंटी दी है. यह योजना कांग्रेस ने अपनी छत्तीसगढ़ सरकार की तर्ज पर शुरू करेगी. किसान तक ने कांग्रेसी सूत्रों से इस योजना के बारे में जानकारी ली है. बनाए गई योजना के अनुसार अगर राजस्थान में कांग्रेस की सरकार रिपीट होती है तो वे किसानों और पशुपालकों से ना सिर्फ गाय का गोबर खरीदेगी बल्कि भैंस का गोबर की भी खरीद की जाएगी. इसकी कीमत दो रुपये किलो दी जाएगी. जानकारी के अनुसार गौमूत्र की भी खरीद सरकार करेगी. सूत्रों के अनुसार इस योजना को हू-बहू छत्तीसगढ़ की तर्ज पर लागू किया जाएगा. इसमें गांव-गांव में एक गौठान समिति बनाई जाएंगी. ये गौठान समितियां इस गोबर से वर्मी कंपोस्ट खाद बनाएगी. अगर सब ठीक रहा तो इससे गोबर गैस प्लांट भी स्थापित किए जाएंगे. खाद को 6-7 रुपये या स्थानीय भाव के अनुसार किसानों को बेचा जाएगा. छत्तीसगढ़ सरकार भी पशुपालकों से गोबर खरीद कर वर्मी कंपोस्ट खाद बनाकर सात रुपये किलो बेच रही है.

इससे जैविक खेती को बढ़ावा मिल रहा है. साथ ही पशुपालकों को गोबर बेचने से आय भी हो रही है. हालांकि छत्तीसगढ़ सरकार की यह योजना कई चुनौतियों से भी जूझ रही है. इसमें गोबर उठान, सही समय पर भुगतान का ना मिलना शामिल है. 

राजस्थान में देश का सबसे ज्यादा पशुधन, दूध उत्पादन में पहले स्थान पर 

गोधन न्याय योजना राजस्थान के पशुपालकों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. क्योंकि पशुओं की संख्या के मामले में राजस्थान देश में पहले स्थान पर है. प्रदेश में 2019 पशुगणना के अनुसार 1,36,93,316 भैंस हैं. वहीं, गायों के मामले में यह संख्या 1,39,37,630 है. यह संख्या 2012 की पशुधन गणना से 4.60 प्रतिशत ज्यादा है.

वहीं, भैस की संख्या में 2012 से 2019 के बीच 5.53 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. प्रदेश में गाय और भैंस ही हैं जिनकी संख्या बढ़ी है. अन्य पशुओं जैसे भेड़, बकरी, गधे, घोड़े, ऊंटों की संख्या में गिरावट दर्ज हुई है. 

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प्रदेश की जीपीडी में पशुपालन का 13 प्रतिशत योगदान

राजस्थान दूध और ऊन उत्पादन में देश में पहले स्थान पर है. साथ ही यह तथ्य भी है कि राजस्थान में खेती के अलावा पशुपालन आजीविका का बड़ा साधन है. प्रदेश में 52 फीसदी से अधिक किसान छोटी जोत के हैं. इसीलिए वे पशुपालन से अपनी आजीविका चलाते हैं. इस बात का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि राजस्थान की एसजीडीपी में पशुपालन का 13 प्रतिशत योगदान है. वहीं, खेती का योगदान 29 प्रतिशत है. 

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इससे पहले भी पशुपालकों को लुभाने की कोशिश कर चुकी है कांग्रेस

राजस्थान में कांग्रेस पार्टी पशुपालकों के महत्व को अच्छे से समझती है. इसीलिए इसी साल चलाए गए महंगाई राहत कैंपों में दुधारू पशुओं का 40 हजार रुपये तक का बीमा सरकार ने कराया था. इसके अलावा लंपी के दौरान मारे गए पशुओं के मालिकों को भी 40 हजार रुपये का मुआवजा सरकार ने दिया था. इससे जाहिर है कि कांग्रेस पार्टी पशुपालकों को योजना से जोड़कर चुनावी फायदा लेने की कोशिश कर रही है. 
 

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