राजस्थान की रेतीली धरती पर शान से चलने वाला "रेगिस्तान का जहाज" यानी ऊंट, अब खुद संकट में है. राज्य में ऊंटों की संख्या में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. अगर यही स्थिति बनी रही तो आने वाले वर्षों में ऊंट केवल किताबों और तस्वीरों में ही दिखाई देंगे.
राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई ‘उष्ट्र संरक्षण योजना’ ऊंटों के संरक्षण की दिशा में एक सराहनीय पहल थी, लेकिन इसके क्रियान्वयन में गंभीर लापरवाही सामने आ रही है. सीकर जिले के कई ऊंट पालकों को पिछले दो वर्षों से इस योजना के तहत मिलने वाली प्रोत्साहन राशि नहीं मिली है, जिससे उन्हें लाखों रुपये का नुकसान हो चुका है.
राज्य सरकार की इस योजना के तहत ऊंटनी के बच्चे के जन्म पर 20,000 रुपये की सहायता राशि देने का प्रावधान है, जो तीन किश्तों में दी जाती है. इसके लिए ऊंटनी की टैगिंग और पोर्टल पर ऑनलाइन पंजीकरण अनिवार्य है. हालांकि, पशुपालन विभाग के अधिकारियों की ओर से सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बावजूद भी पशुपालकों को यह राशि नहीं मिल रही है.
पशुपालकों का आरोप है कि अधिकारी जानबूझकर भुगतान में देरी कर रहे हैं. उनकी ऊंटनी की टैगिंग और निरीक्षण पहले ही पूरा हो चुका है, इसके बावजूद योजना का लाभ नहीं मिलना गंभीर प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है. इससे ऊंट पालकों में गहरा आक्रोश है.
पशुपालकों का कहना है कि यदि सरकार का रवैया ऐसा ही रहा तो वे ऊंट पालन का काम छोड़ने को मजबूर हो जाएंगे. इससे ऊंटों की संख्या में और तेज गिरावट होगी, जो राज्य की सांस्कृतिक और पारंपरिक विरासत के लिए बड़ा खतरा है.
दूसरी ओर, पशुपालन विभाग में स्टाफ की संख्या बढ़ रही है, लेकिन नीति और योजना को लागू कराने में भारी खामियां साफ नजर आ रही हैं. ना सिर्फ ऊंट, बल्कि भेड़ों की संख्या भी राज्य में लगातार घट रही है.
राजस्थान में बड़ी संख्या में ऊंटों का पालन होता है. किसानों के लिए यह आजीविका का साधन भी है. इनकी घटती संख्या को देखते हुए सरकार इनके संरक्षण की योजना चलाती है. इस योजना के तहत किसानों को संरक्षण के लिए राशि दी जाती है. लेकिन यह राशि अभी बंद है जिसकी वजह से किसानों में चिता है. इसी वजह से राजस्थान में ऊंटों के संरक्षण पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.
अब समय आ गया है कि सरकार और विभाग इस समस्या को गंभीरता से लें और न केवल योजना का लाभ सुनिश्चित करें, बल्कि ऊंट पालकों को संरक्षित करने के लिए ठोस कदम उठाएं.(राकेश गुर्जर का इनपुट)
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