बाड़मेर जिले के प्रसिद्ध मल्लीनाथ तिलवाड़ा का प्रसिद्ध पशु मेला शुरू हो गया है. इस मेले में देश-प्रदेश से बड़ी संख्या में किसान और पशुपालक शामिल होते हैं. मेले में घुड़ दौड़, ऊंट दौड़, गाय का दूध एवं ऊंटनी के दूध को लेकर विभिन्न रोमांचक प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैंं. इन प्रतियोगिता में विजेताओं को इस बार बड़ी मात्रा में चांदी जीतने का मौका है. मसलन, मल्लीनाथ पशुमेले में 1.75 किलो चांदी जीतने का मौका है. स्थानीय भामाशाह ने इनाम में चांदी देने की घोषणा की है. जानकारी के अनुसार पहले स्थान पर रहने वाले विजेता को एक किलो, दूसरे स्थान पर आधा किलो और तीसरे स्थान वाले पशुपालक को 250 ग्राम चांदी भामाशाह कोलू देंगे.
बता दें कि राजस्थान में लंपी बीमारी के बाद तिलवाड़ा पशु मेला पहला बड़ा मेला है. क्योंकि बीते तीन साल से पहले कोरोना और फिर बाद में लंपी बीमारी के चलते राज्य में पशु मेले आयोजित नहीं हो पा रहे थे.
पशु मेले में 22 मार्च को केन्द्रीय पशुपालन मंत्री परषोत्तम रूपाला और कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी पहुंचेंगे. दोनों केंद्रीय मंत्री मेले में आयोजित कृषि एवं पशु प्रदर्शनी का करेंगे अवलोकन. मंत्री देश-प्रदेश की अलग-अलग जगहों से आए किसान और पशुपालकों से संवाद भी करेंगे. साथ ही मेले में दोनों केंद्रीय मंत्री श्रेष्ठ पशुपालकों और किसानों को भारत सरकार तथा स्थानीय भामाशाह पृथ्वीराज सिंह कोलू की ओर से घोषित पुरस्कारों का वितरण भी करेंगे.
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केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि संसदीय क्षेत्र बाड़मेर के तिलवाड़ा में आयोजित होने वाले ऐतिहासिक एवं विख्यात मल्लीनाथ पशु मेले में केंद्रीय पशुपालन मंत्री परषोतम रूपाला पहुंचेंगे.मेला परिसर में आयोजित विभिन्न पशुपालन प्रतियोगिताओं में विजेता प्रतिभागियों तथा श्रेष्ठ किसानों एवं पशुपालकों को भारत सरकार एवं स्थानीय भामाशाह द्वारा घोषित पुरस्कारों का वितरण भी किया जाएगा. उन्होंने कहा कि तिलवाड़ा मेरी संसदीय क्षेत्र में है. इसीलिए स्थानीय जनप्रतिनिधि होने के नाते पशु मेले की सुंदरता और उपयोगिता बढ़ाने को लेकर मैं प्रयासरत हूं.
राजस्थान में हर साल करीब 250 पशु मेले लगते हैं. इनमें से 10 मेले राज्य स्तरीय होते हैं. इनमें पशुपालन विभाग और कई में पर्यटन विभाग भी शामिल होता है. बालोतरा के तिलवाड़ा का पशुमेला इन्हीं 10 मेलों में से एक है. मेले में सिर्फ राजस्थान ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों को पशुपालक भी पशुओं की खरीद-बिक्री करने आते हैं. इसीलिए पशुपालन विभाग और जिला प्रशासन इन मेलों में अच्छी व्यवस्थाएं करता है.
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राजस्थान में हर साल सैंकड़ों पशु मेले लगते हैं,लेकिन बीते तीन साल से कई कारणों के चलते इनका आयोजन नहीं हो पा रहा है. इन कारणों में 2020-21 में कोरोना और फिर 2022-23 में लंपी बीमारी शामिल है. लंपी और कोरोना के कारण राज्य सरकार को राजस्व की भी हानि हुई. साथ ही पशुपालक भी पशुओं की खरीद-बिक्री नहीं कर पाए.
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