कांडी, केतार और भवनाथपुर प्रखंडों में फैला लंपी वायरस, कई मवेशी संक्रमित, ग्रामीण कर रहे देसी इलाज. पशुपालन विभाग पर लापरवाही का आरोप. डीसी ने दिया प्रभावित क्षेत्रों में त्वरित कार्रवाई का निर्देश.
Lumpy Virus: बरसात का मौसम आते ही पशुओं में कई तरह की बीमारियां फैलने लगती हैं, मगर हाल के सालों में लम्पी वायरस का विशेष कहर होता है. अब खबर आई है कि झारखंड के रांची जिले लम्पी वायरस के कुछ मामले सामने आए हैं. इसको लेकर अब जिला प्रशासन हाई अलर्ट पर आ गया है.
धनबाद के बीरबल मंडल मुुर्गीपालन करके न सिर्फ लाखों में कमाई कर रहे हैं बल्कि सैकड़ों लोगों को उन्होंने रोजगार भी दिया है. उनका नाम पद्म श्री पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया है.
विभाग ने राज्य में इन मछलियों का उत्पादन करने की योजना के तहत रांची में 30 और पूरे राज्य में 115 तालाबों का चयन किया है. इन तालाबों में प्रशिक्षित मछली पालक इन मछलियों का पालन करेंगे.
राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) और झारखंड सरकार के बीच करार खत्म हो गया है. इसके कारण किसानों को प्रोत्साहन राशि का भुगतान नहीं हो पा रहा है. करार के अनुसार एनडीडीबी के जरिए ही किसानों को सरकार से मिलने वाली प्रोत्साहन राशि का भुगतान डीबीटी के जरिए किया जाता है.
सेक्स सॉर्टेड सिमेन तकनीक में मवेशियों के सिमेन से मेल क्रोमोजोम को अलग कर दिया जाता है. इससे यह सुनिश्चित होता है कि गाय कृत्रिम गर्भाधान के बाद जो भी बच्चे को जन्म देगी वह बछिया ही होगी.
डॉ अकलाकुर ने कहा कि तेज धूप के कारण पानी का जब तापमान बढ़ता है तो तालाब में इसके दो प्रभाव पड़ते हैं. पहला यह होता है कि पानी बहुत तेजी से सूखता है और पानी गर्म भी होता है. तापमान बढ़ने के कारण पानी में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है. इसके कारण मछलियों को सही मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है.
पीड़ित किसान रामू ने बताया कि मकैनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा की डिग्री हासिल करने के बाद वे रोजगार की तलाश में हैदराबाद चले गए. वहां वे एक पार्ट्स बनाने वाली एक कंपनी में काम करने लगे. फिर 2021 में यहां आकर उन्होंने अपने आस-पास के गांवों में देखा और अन्य लोगों से सलाह लेकर मुर्गीपालन करने का मन बनाया.
इस समय बकरियों में टीपीआर रोग के संक्रमण की संभावना सबसे अधिक रहती है. इस रोग से संक्रमित होने पर अक्सर सही इलाज के अभाव में बकरियों की मौत हो जाती है. टीपीआर रोग से संक्रमित बकरी के लक्षण की बात करें तो इस रोग से ग्रसित जानवरों को तेज बुखार आया है साथ ही मुंह में छाले पड़ जाते हैं.
इस डैम की सीमाएं ओरमांझी और अनगड़ा प्रखंड से लगती हैं. इस डैम में फिलहाल आठ मत्स्यजीवी सहयोग समिति सक्रिय है जो मछली पालन करती है. इस डैम में केज कल्चर और आरएफएफ के जरिए मछली पालन किया जाता है. डैम में मछलीपाल करने के लिए महेशपुर मत्स्यजीवी सहयोग समिति के अध्यक्ष क्लेश नायक बताते हैं कि डैम के बनने के बाद से इलाके की तस्वीर अब बदल रही है.
पशुपालकों को राहत पहुंचाने के तहत राजधानी रांची के पशुपालन भवन में आदर्श हॉस्पिटल एवं वीडियो कॉल बेस्ड टेलीमेडिसीन सेंटर का उद्घाटन किया गया. कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री बादल ने इसका उद्घाटन किया. इस मौके पर बताया गया कि टेलीमेडिसीन नंबर 9431389764 पर फोन या व्हाट्सएप कॉल करके सुविधा का लाभ लिया जा सकता है.
त्रिपुरा के किसान रांची के खलारी में कोलपिट में स्थित केज कल्चर को देखने गए साथ ही नगड़ी और रातू में बॉयोफ्लॉक और आरएएस तकनीक के माध्यम से हो रहे मछली पालन को देखा. आधुनिक तकनीकों से मछलीपालन होता देख किसान काफी प्रभावित दिखे. खास कर बॉयोफ्लॉक एक ऐसी तकनीक है जहां पर कम पानी में अधिक से अधिक मछली पालन हासिल किया जा सकता है.
'गजब गाय' सीरीज में आपने पढ़ी गाय की अलग-अलग प्रजातियों से जुड़ी डिटेल. ज्यादा दूध देने वाली गाय से लेकर दुनिया की सबसे छोटी गाय तक अब पेश है किसान तक की खास सीरीज 'बिंदास बकरी'. इस सीरीज में आप पढ़ेंगे बकरियों की अलग-अलग वैरायटी से जुड़ी डिटेल और साथ में मिलेगी वीडियो डिटेल भी.
पलामू का मेधा डेयरी प्लांट राज्य का सातवां डेयरी प्लांट है. लगभग 28 करोड रुपए की लागत से निर्मित इस अत्याधुनिक डेयरी प्लांट से लगभग 25 हज़ार किसानों- पशुपालकों को सीधा फायदा होगा. इस डेयरी की वर्तमान में प्रतिदिन 50 हजार लीटर दूध की प्रोसेसिंग और पैकेजिंग की क्षमता होगी
अमेरिका में गोबर के उपलों पर प्रतिबंध है क्योंकि यहां पर यह माना जाता है कि इससे मवेशियों में एफएमडी जैसी बीमारियों का संक्रमण फैलता है और गोबर उसका वाहक है. इसीलिए गोबर के उपले को लेकर अमेरिकी एयरपोर्ट के अधिकारियों ने ऐसा एक्शन लिया कि लोग दंग रह गए.
इस घटना के बाद राज्य के कृषि मंत्री बादल ने जांच के आदेश दिए थे साथ ही किसान को हर संभव मदद दिए जाने का आदेश दिए थे. इसके तहत रांची जिला मत्स्य पदाधिकारी अरुप चौधरी ने गेतलसूद स्थित केज का दौरा किया था.
प्रशिक्षण के दौरान संयुक्त मत्स्य निदेशक ने बताया कि बायोफ्लॉक और रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम (आर ए एस) मछली पालन की एक नवीनतम तकनीक है. जिसमें मत्स्य किसान कम जगह और कम पानी में अधिक से अधिक मछली का उत्पादन कर सकता है.
गांव में बकरी पालन में बदलाव की शुरुआत तब हुई जब बिरसा कृषि विश्विद्यालय अंतर्गत वेटेनरी कॉलेज ने गांव को गोद लिया. गांव के ही युवक आबिद अंसारी को बकरियों का वैक्सीनेशन और इलाज करने के लिए प्रशिक्षित किया गया.
झारखंड को मछली बीज उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए राज्य भर के अलग-अलग जिलों के 75000 प्रगतिशील युवा मत्स्य किसानों को जीरा उत्पादन का प्रशिक्षण दिया गया है. उनका प्रशिक्षण पूरा हो गया है और जल्द ही सभी प्रशिक्षित जीरा उत्पादक किसान अपने-अपने जिला में मत्स्य बीज उत्पादन का काम करेंगे
मेधा डेयरी का लक्ष्य है कि किसानों को इससे जोड़कर उनसे 5 लाख लीटर प्रतिदिन तक दूध क्रय किया जाए जिससे किसानों के आय में वृद्धि हो सके. उन्होंने कहा कि किसानों को पशुधन की योजनाओं से जोड़़कर उनकी आय में वृद्धि की जा सके
पशुपालन को राज्य में बढ़ावा देने के लिए झारखंड में मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना की शुरुआत की है. इस योजना के तहत लाभुक किसानो को दुधारू पशु खरीदने पर सब्सिडी दी जाती है. इसके अलावा इस योजना का उद्देश्य राज्य के किसानों को पशुधन से समृद्ध करना है
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