मत्स्य किसानों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन फोटोः किसान तकमछली पालन के क्षेत्र में झारखंड को आत्मनिर्भर बनाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. इसके परिणाम भी सामने आ रहे हैं. झारखंड मछली उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन रहा है. राज्य में पारंपरिक तकनीक के अलावा मत्स्य पलान की आधुनिकतम तकनीकों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. मत्स्य किसानों तक आधुनिक तकनीक को पहुंचाने के लिए उन्हें बॉयोफ्लकॉक और आरएएस तकनीक का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसी के तहत रांची के शालीमार स्थित मत्स्य प्रशिक्षण केंद्र में पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की गई है. प्रशिक्षण कार्यक्रम में राज्य के अलग-अलग जिलों से आए मत्स्य किसान शामिल हुए हैं. प्रशिक्षण हासिल करने के बाद ये किसान प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से जुड़कर योजनाओं का लाभ लेकर मछली पालन की शुरुआत कर सकते हैं.
मत्स्य प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन मत्स्य विभाग के संयुक्त निदेशक मनोज कुमार ने किया. इस अवसर पर केन्द्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान के क्षेत्रीय अनुसंधान संस्थान मोतीपुर के वैज्ञानिक डा अखलाकुर के साथ-साथ बायोफलाक के एक्सपर्ट के तौर पर डा सुमन रचित औऱ जिला मत्स्य पदाधिकारी सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी अरुप चौधरी समेत अन्य अधिकारी शामिल हुए जिन्होंने आरएएस और बॉयोफ्लॉक के बारे में जानकारी दी.
प्रशिक्षण में राज्य के विभिन्न जिलो से आए 88 मत्स्य किसानों ने भाग लिया. प्रशिक्षण के दौरान संयुक्त मत्स्य निदेशक ने बताया कि बायोफ्लॉक और रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम (आर ए एस) मछली पालन की एक नवीनतम तकनीक है. जिसमें मत्स्य किसान कम जगह और कम पानी में अधिक से अधिक मछली का उत्पादन कर सकता है. उन्होने बताया कि इस प्रकार की नई और आधुनिक तकनीक को अपनाकर मत्स्य किसानों को रोजगार के नए अवसर प्राप्त होगें तथा अधिक से अधिक मछली का उत्पादन कर भी होगा जिससे उनकी कमाई बढ़ेंगी.
मनोज कुमार ने बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य संम्पदा योजना के तहत बायोफ्लॉक और आर ए एस का निर्माण लाभुकों के द्वारा कराया जा रहा है और मछली उत्पादन का कार्य प्रारंभ किया जा चुका है. इस पद्धित में कम आक्सीजन में रहने वाले मछली की प्रजातियों का पालन सफलता पूर्वक किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि झारखंड में बॉयोफ्लॉक और आरएएस जैसी तकनीक आ जाने से राज्य में चल रही नीली क्रांति को एक नया आयाम मिला है, साथ ही रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं. इस योजना का मुख्य उद्देश्य मछली उत्पादन एवं उत्पादकता में बढ़ोतरी के साथ नवीनतम तकनीक की सहायता से मात्स्यिकी प्रबंधन, आवश्यक आधारभूत संरचना का विकास, आधुनिकीकरण एवं सुदीढ़ीकरण हेतु सहायता उपलब्ध कराना है. इसका लाभ प्रत्येक मत्स्य कृषक ले सकते हैं.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today